छत्तीसगढ़ में बेघर जनसंख्या
डा (श्रीमती) अनुसुइया बघेल
भूगोल अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़ ।
सारांश
प्रथम अध्ययन भारतीय जनगणना 2001: छत्तीसगढ़ पर आधारित है। छत्तीसगढ़ में बेघर परिवारों में से तीन - चैथाई परिवार ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। किन्तु बेघर जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों में अधिक है। इसी तरह बेघर जनसंख्या में स्त्रियों से पुरूषों की संख्या अधिक है। छत्तीसगढ़ में बेघर जनसंख्या की दृष्टि से जांजगीर चांपा जिले का प्रथम स्थान है। बेघर जनसंख्या अनुसूचित जाति से अनुसूचित जनजाति में अधिक है। प्रस्तुत अध्ययन में छत्तीसगढ़ की बेघर जनसंख्या में लिंग अनुपात, साक्षरता, व्यावसायिक संरचना की विशेषताओं का विश्लेषण किया गया है। बेघर जनसंख्या में साक्षरता सामान्य जनंसख्या से आधे से भी कम है किन्तु महिलाओं में साक्षरता सामान्य जनसंख्या की महिलाओं से एक - चैथाई से भी कम है। अधिक जनसंख्या के क्षेत्रों में बेघर जनसंख्या अधिक पाया गया है। बेघर जनसंख्या में सामान्य जनसंख्या के विपरीत कृषि श्रमिकों का प्रतिशत कम और गृह उद्योग तथा अन्य सेवाओं में संलग्न लोगों का प्रतिशत अधिक है। ईसाई प्रधान जिले जशपुर में संस्थागत जनसंख्या अधिक होने के कारण बेघर जनसंख्या कम है।
बेघर जनसंख्या, व्यावसायिक संरचना, लिंग अनुपात, कार्यशील जनसंख्या, मुख्य कर्मी, सीमांतकर्मी।
प्रस्तावना
बेघर जनसंख्या गरीबी का सबसे महत्वपूर्ण सूचक है। 2001 की जनगणना के अनुसार जो परिवार भवनों या जनगणना मकानों में नहीं रहते हैं परन्तु सड़क के किनारे खुले में, फुटपाथों, जमीन के नीचे डाले जाने वाले पाइपों में, फ्लाई ओवरों के नीचे, सीढ़ियों के नीचे या धार्मिक स्थलों, मंडपों में, रेलवे प्लेटफार्मों, आदि पर खुले में रहते है, उन्हें बेघर परिवार के रूप माना गया है।
2001 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ में प्रति लाख जनसंख्या में से 138 व्यक्ति बेघर हैं। यह संख्या ग्रामीण क्षेत्रों (135 प्रति लाख) से नगरीय क्षेत्रों (148 प्रति लाख) में अधिक है। बेघर जनसंख्या महिलाओं (126 प्रति लाख) से पुरूषों (150 प्रति लाख) में और भी अधिक है।
आंँकड़ों के स्रोत
प्रस्तुत अध्ययन भारतीय जनगणना 2001, छत्तीसगढ़ पर आधारित है। इसमें जिलेवार परिवार एवं बेघर जनसंख्या के आंँकड़े ग्रामीण एवं नगरीय, पुरूष एवं महिला दोनों के लिए उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त बेघर जनसंख्या की जनांकिकीय विशेषताएँ जैसे साक्षरता, लिंग अनुपात, व्यावसायिक संरचना, आदि सूचनाएँं उपलब्ध है।
बेघर परिवार
2001 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ में 7504 परिवार बेघर हैं। इनमें से 74.8 प्रतिशत परिवार ग्रामीण क्षेत्रों में रहती हैं। बेघर परिवार रायपुर (1113) और जांजगीर-चांँपा (1110) जिलों में एक हजार से भी अधिक है। इसी तरह रायगढ़ जिले में 718, बिलासपुर जिले में 714, और सरगुजा जिले में 566 परिवार बेघर हैं। इसके विपरीत धमतरी जिले में बेघर परिवार सबसे कम 156 है। बेघर परिवार कांकेर जिले में 190, कवर्धा जिले में 202 और दंतेवाड़ा जिला में 228 है। बेघर परिवार ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अधिक जांजगीर- चांँपा जिले में 995 और नगरीय क्षेत्रों में रायपुर जिले में 576 है।
छत्तीसगढ़ में बेघर जनसंख्या 138 प्रति लाख जनसंख्या है। बेघर जनसंख्या सबसे अधिक जांजगीर-चांँपा जिले में 322 प्रति लाख है। यह संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में 323 और नगरीय क्षेत्रों में 311 प्रति लाख है। बेघर जनसंख्या दुर्ग (63 प्रति लाख), धमतरी और बस्तर (90 प्रति लाख) जिलों में 100 प्रति लाख जनसंख्या से कम है। बेघर जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में सबसे अधिक जांजगीर-चाँंपा जिले में 323 प्रति लाख और नगरीय क्षेत्र में दंतेवाड़ा जिला में 431 प्रति लाख है। बेघर जनसंख्या सबसे अधिक जांजगीर-चांँपा जिले में पुरूषों में 323 और महिलाओं में 311 प्रति लाख है। किन्तु बेघर जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे कम धमतरी जिले में 46 और नगरीय क्षेत्रों में जशपुर जिले में 23 प्रति लाख है।
सारणी 1: छत्तीसगढ़: बेघर जनसंख्या, 2001
जिला बेघर परिवार बेघर जनसंख्या (प्रति लाख जनसंख्या) बेघर जनसंख्या (प्रति लाख जनसंख्या)
कुल ग्रामीण नगरीय कुल ग्रामीण नगरीय पुरूष महिला
कोरिया 341 263 78 207 240 128 216 197
सरगुजा 566 513 208 122 120 152 132 112
जशपुर 292 256 36 39 36 105 56 23
रायगढ़ 718 625 93 206 221 106 233 180
कोरबा 463 276 187 170 164 179 172 167
जांजगीर-चांँपा 1110 995 115 322 323 311 332 311
बिलासपुर 714 570 144 141 162 79 149 132
कवर्धा 202 174 28 148 142 216 158 138
राजनांदगांव 481 327 154 145 134 199 162 129
दुर्ग 460 277 183 63 72 48 124 57
रायपुर 1113 535 576 140 102 228 156 124
महासमुन्द 350 293 57 148 143 191 160 138
धमतरी 156 91 65 90 66 50 46 88
कांकेर 190 169 21 111 104 248 22 97
बस्तर 323 271 52 90 85 158 92 81
दन्तेवाड़ा 228 158 70 128 104 431 170 86
छत्तीसगढ़ 7504 5611 1893 138 135 148 150 126
सारणी 2: छत्तीसगढ़: बेघर जनसंख्या की जनांकिकीय विशेषाताएँ, 2001
जिला
0-6 आयु की जनसंख्या 0-6 आयु में लिंग अनुपात (प्रति हजार) लिंग अनुपात (प्रति हजार) साक्षरता अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति
कोरिया 24.9 1188 861 22.0 13.1 54.4
सरगुजा 21.8 1035 824 20.0 14.9 47.9
जशपुर 15.1 692 411 46.2 10.6 26.7
रायगढ़ 19.6 865 768 29.8 26.8 30.5
कोरबा 21.5 1061 942 23.1 34.0 30.9
जांजगीर-चांँपा 20.8 873 935 24.4 24.4 26.7
बिलासपुर 22.3 944 859 26.4 21.9 31.5
कवर्धा 21.6 1078 879 18.4 12.5 24.1
राजनांदगांव 21.6 956 819 23.2 13.3 31.2
दुर्ग 21.2 1113 834 19.4 15.0 27.3
रायपुर 17.4 924 780 33.4 18.4 19.5
महासमुन्द 20.6 948 878 29.4 20.7 35.2
धमतरी 23.3 1426 951 27.5 24.7 31.1
कांकेर 18.9 743 782 28.1 10.3 26.5
बस्तर 15.7 1021 783 23.5 23.0 37.0
दन्तेवाड़ा 11.0 1061 510 31.1 14.5 42.0
छत्तीसगढ 20.1 971 825 26.1 20.1 31.3
सारणी 3: छत्तीसगढ़: बेघर जनसंख्या की व्यावसायिक संरचना, 2001
जिला कार्यशील जनसंख्या कृषक कृषि श्रमिक गृह उद्योग अन्य सेवा मुख्य कर्मी सीमांत कर्मी
कोरिया 59.2 0.8 3.6 11.8 83.8 72.3 27.7
सरगुजा 58.9 6.8 16.8 34.5 42.1 62.7 37.3
जशपुर 66.0 6.2 7.3 13.5 73.0 90.1 9.8
रायगढ़ 55.9 1.9 23.4 21.3 53.4 72.3 27.7
कोरबा 53.5 3.3 23.0 7.7 66.0 41.7 58.3
जांजगीर-चांँपा 55.6 3.9 43.8 15.2 37.1 59.5 40.5
बिलासपुर 49.2 11.6 16.8 13.8 57.8 53.8 48.2
कवर्धा 50.5 6.4 24.3 8.7 60.6 75.1 24.9
राजनांदगांव 47.9 2.4 4.5 20.3 72.8 76.4 23.6
दुर्ग 44.4 5.4 15.4 19.6 59.6 84.2 15.8
रायपुर 51.8 6.0 20.0 12.9 61.1 80.7 19.3
महासमुन्द 53.7 12.4 46.4 12.0 29.2 79.6 20.4
धमतरी 49.2 5.8 30.7 13.7 49.8 90.4 9.6
कांकेर 53.9 0.3 27.8 13.4 58.5 81.4 18.6
बस्तर 64.5 6.2 15.6 8.5 69.7 61.9 38.1
दन्तेवाड़ा 66.3 5.8 25.1 11.6 57.5 56.5 43.5
छत्तीसगढ 54.0 5.4 21.2 16.1 55.3 68.1 31.9
0-6 आयु समूह में बेघर जनसंख्या
छत्तीसगढ़ में बेघर जनसंख्या में 0-6 आयु समूह का प्रतिशत 20.1 है। जबकि सामान्य जनसंख्या में यह प्रतिशत 16.7 प्रतिशत है। बेघर जनसंख्या में 0-6 आयु की जनसंख्या का प्रतिशत पुरूषों में 18.7 प्रतिशत और महिलाओं में 21.9 प्रतिशत है। बेघर जनसंख्या में 0-6 आयु का प्रतिशत सबसे अधिक कोरिया जिले में 24.9 प्रतिशत है। इसके विपरीत दंतेवाड़ा जिला में यह 11.0 प्रतिशत है। जशपुर (15.1 प्रतिशत) और बस्तर (15.7 प्रतिशत) जिलो में बेघर जनसंख्या में 0-6 आयु का प्रतिशत अपेक्षाकृत कम है।
लिंग अनुपात
लिंग अनुपात पूर्णतः एक जैविकीय तथ्य है। ‘‘लिंग अनुपात न केवल प्रादेशिक विश्लेषण के लिए एक उपयोगी साधन है, बल्कि वर्तमान सामाजिक एवं आर्थिक दशाओं का एक महत्वपूर्ण सूचक भी होता है’’ (फ्रेंकलिन, 1956)। छत्तीसगढ़ में बेघर जनसंख्या में लिंग अनुपात 825 प्रति हजार है। बेघर जनसंख्या में लिंग अनुपात सबसे अधिक धमतरी जिले में 951, कोरबा जिले में 942 और जांजगीर-चाँपा जिले में 935 प्रति हजार है। इसके विपरीत जशपुर जिले में यह लिंग अनुपात 411 प्रति हजार है। बेघर जनसंख्या में लिंग अनुपात दंतेवाड़ा जिले में 510 प्रति हजार है।
0-6 आयु समूह में लिंग अनुपात
बेघर जनसंख्या में 0-6 आयु समूह में लिंग अनुपात (971 प्रति हजार) अपेक्षाकृत अधिक है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में बेघर जनसंख्या में 0-6 आयु समूह में लिंग अनुपात 8 जिलों में एक हजार से अधिक है। बेघर जनसंख्या में 0-6 आयु समूह में लिंग अनुपात धमतरी जिले में 1426, कोरिया जिले में 1188, दुर्ग जिले में 1113, कवर्धा जिले में 1078, कोरबा एवं दंतेवाड़ा जिले में 1061, सरगुजा जिले में 1035 और बस्तर जिले में 1021 प्रति हजार से अधिक है। इसके विपरीत यह लिंग अनुपात जशपुर जिले में सबसे कम 692 प्रति हजार है।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति
2001 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ में बेघर जनसंख्या में 20.1 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जाति और 31.3 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जनजाति है। बेघर जनसंख्या में अनुसूचित जातियों का प्रतिशत कोरबा में सबसे अधिक 34.0 प्रतिशत एवं कांकेर जिले में सबसे कम 10.3 प्रतिशत है। यह प्रतिशत धमतरी जिले में 24.7 प्रतिशत, जांजगीर-चाँंपा जिले में 24.4 प्रतिशत, बस्तर जिले में 23.0 प्रतिशत एवं बिलासपुर जिले में 21.9 प्रतिशत है।
बेघर जनसंख्या अनुसूचित जनजाति में सबसे अधिक कोरिया जिले में 54.4 प्रतिशत है। बेघर जनसंख्या अनुसूचित जनजाति जनसंख्या में सरगुजा जिले में 47.9 प्रतिशत, दंतेवाड़ा जिले में 42.0प्रतिशत, बस्तर जिले में 37.0 प्रतिशत एवं महासमुन्द जिले में 35.2 प्रतिशत है। इसके विपरीत रायपुर जिले में बेघर जनसंख्या में अनुसूचित जनजाति जनसंख्या 19.5 प्रतिशत है।
साक्षरता
जनसंख्या की एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विशेषता साक्षरता है। ‘‘साक्षरता किसी क्षेत्र के सामाजिक एवं आर्थिक विकास की सूचक होती है। इससे किसी समाज के आधुनिकीकरण के स्तर का पता चलता है’’ (डेविस, 1951)। बेघर जनसंख्या में साक्षर जनसंख्या (6 वर्ष से अधिक आयु में साक्षर जनसंख्या) 26.1 प्रतिशत है। जबकि सामान्य जनसंख्या में 65.2 प्रतिशत व्यक्ति साक्षर हैं। बेघर जनसंख्या में साक्षर जनसंख्या का प्रतिशत पुरूषों (36.5 प्रतिशत) से महिलाओं का प्रतिशत (13.4 प्रतिशत) एक-तिहाई है। बेघर जनसंख्या में साक्षर जनसंख्या का प्रतिशत सबसे अधिक जशपुर जिले में 46.2 प्रतिशत और सबसे कम कवर्धा जिले में 18.4 प्रतिशत है। साक्षर जनसंख्या का यह प्रतिशत रायपुर (33.4 प्रतिशत) और दंतेवाड़ा (31.1 प्रतिशत) जिलों में 30 प्रतिशत से अधिक है। इसके विपरीत दुर्ग जिले में बेघर जनसंख्या में साक्षरता 19.4 प्रतिशत और सरगुजा जिले में 20 प्रतिशत है।
कार्यशील जनसंख्या
व्यवसाय मानव जीवन को प्रभावित करने वाला संभवतः सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक विशेषता है। व्यवसाय स्वयं सामाजिक, आर्थिक और जनांकिकीय विशेषताओें द्वारा प्रभावित होता है। व्यवसाय की प्रकृति सामाजिक-आर्थिक स्तर का सूचक है। 2001 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ में बेघर जनसंख्या में से 54.0 प्रतिशत लोग कार्यशील हंै। कार्यशील जनसंख्या का प्रतिशत सामान्य जनसंख्या में 46.5 प्रतिशत है। बेघर जनसंख्या में कार्यशील जनसंख्या का प्रतिशत पुरूषों में 60.9 प्रतिशत और महिलाओं में 45.5 प्रतिशत हंै। बेघर जनसंख्या में कार्यशील जनसंख्या दंतेवाड़ा (66.3 प्रतिशत), सरगुजा (66.0 प्रतिशत) और बस्तर (64.5 प्रतिशत) जिलों में 60 प्रतिशत से अधिक है। इसके विपरीत दुर्ग जिले में 44.4 प्रतिशत, राजनांदगांव जिले में 47.9 प्रतिशत, बिलासपुर और धमतरी जिले में 49.2 प्रतिशत जनसंख्या कार्यशील हैं।
बेघर जनसंख्या में कार्यशील जनसंख्या में से 68.1 प्रतिशत लोग मुख्य कर्मी और 31.9 प्रतिशत सीमांत कर्मी हैं। मुख्य कर्मिओं का प्रतिशत जशपुर (90.1 प्रतिशत) और धमतरी (90.4 प्रतिशत) जिले में 90 प्रतिशत से अधिक है। इन जिलो में मुख्य कर्मी के विपरीत सीमांत कर्मी (जशपुर जिले में 9.8 प्रतिशत और धमतरी जिले में 9.6 प्रतिशत) 10 प्रतिशत से भी कम है। बेघर जनसंख्या में मुख्य कर्मियों का प्रतिशत कोरबा (41.7 प्रतिशत), बिलासपुर (53.8 प्रतिशत), दंतेवाड़ा (56.5 प्रतिशत) और जांजगीर-चाँंपा (59.5 प्रतिशत) जिलों में 60 प्रतिशत से कम है। जबकि सीमांत कर्मियों का प्रतिशत इन जिलोें में (कोरबा जिले में 58.3 प्रतिशत, बिलासपुर जिले में 48.2 प्रतिशत, दंतेवाड़ा जिले में 43.5 प्रतिशत एवं जांजगीर-चाँपा जिले में 40.5 प्रतिशत) 40 प्रतिशत से अधिक है।
कृषक एवं कृषि श्रमिक
बेघर जनसंख्या में केवल 5.4 प्रतिशत लोग कृषक हैं। यह प्रतिशत पुरूषों (5.4 प्रतिशत) और महिलाओं (5.2 प्रतिशत) में लगभग समान है। बेघर जनसंख्या में से कृषकों का प्रतिशत महासमुन्द (12.4 प्रतिशत) और बिलासपुर (11.6 प्रतिशत) जिलों में 10 प्रतिशत से अधिक है। बेघर जनसंख्या में 21.2 प्रतिशत जनसंख्या कृषि श्रमिक हैं। कृषि श्रमिकों का प्रतिशत पुरूषों (19.6 प्रतिशत) से महिलाओं (28.9 प्रतिशत) में अधिक है। बेघर जनसंख्या में कृषि श्रमिकों का प्रतिशत महासमुन्द (46.6 प्रतिशत) और जांजगीर-चांपा (43.8 प्रतिशत) जिलों में 40 प्रतिशत से अधिक है। कृषि श्रमिकों का प्रतिशत धमतरी जिले में 30.7 प्रतिशत, कांकेर जिले में 27.8 प्रतिशत और दंतेवाड़ा जिला में 25.1 प्रतिशत है।
गृह उधोग एवं अन्य कर्मी
छत्तीसगढ़ में बेघर जनसंख्या में 16.1 प्रतिशत लोग गृह उद्योग के रूप में कार्यरत हैं। उल्लेखनीय है कि गृह उद्योग में पुरूषों (13.8 प्रतिशत) से महिलाओं का प्रतिशत (19.8 प्रतिशत) अधिक है। बेघर जनसंख्या में गृह उद्योग में संलग्न जनसंख्या सबसे अधिक सरगुजा जिले में 34.5 प्रतिशत है। गृह उद्योगों में संलग्न जनसंख्या रायगढ़ जिले में 21.3 प्रतिशत, राजनांदगांव जिले में 20.3 प्रतिशत और दुर्ग जिले में 19.6 प्रतिशत है। बेघर जनसंख्या में अन्य कर्मियों का प्रतिशत 55.3 प्रतिशत है। अन्य कर्मियों का प्रतिशत पुरूषों (61.1 प्रतिशत) से महिलाओं (46.0 प्रतिशत) में तीन-चैथाई है। अन्य कर्मियों का प्रतिशत कोरिया जिले (83.8 प्रतिशत) में सर्वाधिक है। अन्य कर्मियों का प्रतिशत राजनांदगांव (72.8 प्रतिशत) और जशपुर (73.0 प्रतिशत) जिलों में 70 प्रतिशत से अधिक है। इसके विपरीत महासमुन्द जिले में 29.2 प्रतिशत और जांजगीर-चाँपा जिले में 37.1 प्रतिशत मुख्य कर्मी हैं।
निष्कर्ष
बेघर जनसंख्या की जनांकिकीय विशेषताएँ सामान्य जनसंख्या से अलग है। बेघर जनसंख्या में 0-6 आयु के लोगों का प्रतिशत (20.1 प्रतिशत) सामान्य जनसंख्या से अधिक है। बेघर जनसंख्या में साक्षरता सामान्य जनसंख्या से एक-तिहाई है। इसी तरह बेघर जनसंख्या में कृषक (5.4 प्रतिशत) एंव कृषि श्रमिको (21.2 प्रतिशत) का प्रतिशत कम है जबकि अन्य कर्मियों (55.3 प्रतिशत) एवं गृह उघोग में कर्मियांे (16.1 प्रतिशत) का प्रतिशत अधिक है। सामान्य जनसंख्या में 49.5 प्रतिशत कृषक, 22.0 प्रतिशत कृषि श्रमिक, 2.2 प्रतिशत गृह उघोग एवं 26.3 प्रतिशत अन्य कर्मी है।
छत्तीसगढ़ में बेघर जनसंख्या का प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र से नगरीय क्षेत्रों में अधिक है। इसी तरह बेघर जनसंख्या स्त्रियों से पुरूषों में अधिक है। बेघर जनसंख्या सबसे अधिक जांजगीर-चाँपा जिला और सबसे कम जशपुर जिले में है। इसका कारण जनसंख्या का धनत्व जांजगीर-चाँपा जिले में सबसे अधिक (342 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी.) और जशपुर जिले में सबसे कम (127 व्यक्ति प्रतिशत वर्ग कि.मी) है। बेघर जनसंख्या अनुसूचित जाति प्रधान जिलों में अधिक और अनुसूचित जनजाति प्रधान क्षेत्रों में अपेक्षाकृत कम है। इसी तरह ईसाई जनसंख्या प्रधान जिले जशपुर (22.8 प्रतिशत ईसाई) में बेघर जनसंख्या कम है। इसका कारण इस जिले में संस्थागत जनसंख्या (130 प्रति लाख) अपेक्षाकृत अधिक है। जनसंख्या का धनत्व और बेघर जनसंख्या में धनात्मक सहसंबंध ($.30) पाया गया है। इसी तरह अनुसूचित जाति और बेघर जनसंख्या में धनात्मक सहसंबंध ($.64) पाया गया है।
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3. Franklin, S.H. (1956) : "The Pattern of Sex Ratio in New Zealand", Eco, Geog, Vol. 32, No.3, pp. 162-176.
Received on 11.05.2009
Accepted on 02.08.2009
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Research J. of Humanities and Social Sciences. 1(1): Jan.-March 2010, 05-08