ग्रामीण स्वास्थ्य- सुविधाएं, समस्याएं एवं चुनौतियां

( छत्तीसगढ़ के विशेष संदर्भ में )

 

सुनीता अग्रवालए संजय चन्द्राकर

 

1सहायक प्राध्यापक, समाजशास्त्र संत गुरू घासीदास शास. स्नात.

महाविद्यालय, कुरूद, (..)

2सहायक प्राध्यापक, समाजशास्त्र शास.दू..महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रायपुर (..)

 

 

 

पूरे विश्व में स्वस्थ जीवन, दीर्घ आयु तथा इसके लिए जरूरी स्वास्थ्य एवं पोषण सुविधाओं को विकास का मापदंड माना गया हंै विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों ने यह प्रमाणित किया हंै कि स्वास्थ्य पर सभी व्यक्तियों का अधिकार होना चाहिए किसी भी देश के विकास के लिए वहां के मानव का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य आवश्यक है अर्थात् किसी भी राष्ट्र के सरकार की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि वे अपने नागरिकों के लिए सर्वसुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करायें

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के संविधान में यह भी कहा गया है कि अच्छा स्वास्थ्य प्रत्येक मनुष्य का मूल अधिकार हैं। इस विषय पर जाति, धर्म, राजनीति, विश्वास, धार्मिकता सामाजिक आधार पर कोई भेदभाव नही किया जा सकता

 

स्वास्थ्य के महत्व को स्वीकारते हुए कहा गया है कि समस्त प्रकार के संसाधनों का भरपूर उपयोग तभी संभव हंै जब आम आदमी के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो स्वस्थ समाज के निर्माण की सार्वभौमिक परिकल्पना भी इसी मत की पुष्टि करती हंै। इन्हीं समस्त पहलुओं के अध्ययन के लिए आयुर्विज्ञान का समाजशास्त्र ; डमकपबंस ैवबपवसवहलद्ध का निर्माण हुआ

 

पूर्व अध्ययनरू

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7ण्          सिंह, वीणापाणि, ग्रामीण स्वास्थ्य संरक्षण, क्लासिकल्स पब्लिसिंग कंपनी नई दिल्ली 1998.

 

उपलब्ध सुविधाएॅंरू

भारत की लगभग 14 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है जो निर्धनता, कुपोषण, गंदगी, बीमारी और कर्ज से पीड़ित है यदि भारत में उपलब्ध समग्र चिकित्सकीय सुविधाओं का वितरण देखें तो शहरांे और ग्रामों में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाअेां के मध्य कोई तारतम्य ही नजर नहीं आता राज्य की ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ - साथ भारत की ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं पर नजर डालना आवश्यक हैं स्वतंत्रता के पूर्व भारत में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं नहीं के बराबर थीं स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत सरकार ने एक स्वास्थ्य नीति अपनायी। ग्रामीण जनता का इलाज अधिकतर ग्रामीण वैद्यों देशी चिकित्सकों के हाथों होता था, किंतु स्वतंत्रता के उपरांत विकासखण्ड स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रांे की स्थापना की दिशा में ठोस प्रयास किए गए तीसरी पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत ग्रामीण भारत में 4631 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी थी

 

पांचवी पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रांे की संख्या को बढ़ाकर 5430 तक पहुंचाया गया और 38594 उपस्वास्थ्य केन्द्र, 126 ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्र, 258 अन्य स्वास्थ्य ईकाइयां 124 चलित केन्द्रों की स्थापना की गयी

 

आज भारत में ग्रामीण अंचलों में 136818 स्वास्थ्य उपकेन्द्र, 22991 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा 2712 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा 15500 से अधिक चिकित्सालय हैं   साथ ही विभिन्न रोग उन्मूलन कार्यक्रमों जैसे (मलेरिया, खसरा, काली खांसी, पोलियो उन्मूलन आदि ) के क्रियान्वयन हेतु गा्रमीण स्वास्थ्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई , ग्रामीण स्तर पर दाईयों को प्रशिक्षित किया गया

 

छत्तीसगढ़ राज्य की दो करोड़ आबादी में से लगभग एक तिहाई आदिवासी हैंै , जो जंगलों में निवास करती है ये स्वयं को स्वस्थ्य रखने के लिए पीढ़ियों से संचित वनौषधियों का उपयोग करते हैं तथा इससे संबंधित ज्ञान भी उनके पास हैंै किन्तु नई बीमारियों के लिए आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के ज्ञानाभाव के कारण बहुत सी जनसंख्या मौत की शिकार हो जाती है

 

छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा 6 जिला चिकित्सालय, 114 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 512 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 17 शहरी सिविल अस्पताल, 37 शहरी परिवार कल्याण हेतु तथा 3818 उपस्वास्थ्य केन्द्र के जरिये स्वास्थ्य सेवाएंे उपलब्ध करायी जा रही हैं। दिसम्बर 2008 से 2010 तक दो वर्षो में 119 नए अस्पताल खोले गएवहीं भवनविहिन 723 स्वास्थ्य केन्द्रों का भवन निर्माण कराया गया है नवगठित बीजापुर और नारायणपुर जिले में दो नए जिला अस्पताल, 17 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खोले गए हैं।

 

इन स्वास्थ्य सुविधाओं के अतिरिक्त अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रम भी संचालित हंै जैसे- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय जन्मजात बीमारी नियंत्रण कार्यक्रम, अंधत्व नियंत्रण सोसायटी, बाल स्वास्थ्य जन्य, कुष्ठ रोग निवारण कार्यक्रम, संजीवनी कोष, जननी सुरक्षा योजना, राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम, संजीवनी कोष, जननी सुरक्षा योजना, राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम, एड्स नियंत्रण संस्था, जीवनदीप समिति आदि 

 

समस्याएॅंरू

छत्तीसगढ़ के गांववासी अभी तक मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है तथा राज्य के जन-जन तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहंुचा पाना भी अपने आप में कठिन कार्य हंै वास्तविक स्थिति इस प्रकार है -

1.            स्वास्थ्य सुविधाअेां हेतु आवश्यक दवाईयों, अन्य चिकित्सकीय सामग्रीयों, चिकित्सकों तथा स्वास्थ्य कर्मियों की अपेक्षित और उपलब्ध संख्या में भी भारी अंतर है। अधिकांश चिकित्सक सुदूर गांवों में स्थित स्वास्थ्य केन्द्रों के बजाय शहरी क्षेत्रों में रहना पसंद करते हंै इसलिए ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्र चिकित्सक विहीन ही रह जाते हैैं

2.            ग्रामीण चिकित्सालयों में जांच एवं उपचार की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाती।

3.            ग्रामीणांे द्वारा सुदूर क्षेत्र से लंबी दूरी तय करके आने के पश्चात् स्वास्थ्य केन्द्रांे में आवश्यक चिकित्सा सुविधा चिकित्सक का मिल पाना उन्हें आधुनिक चिकित्सा से दूर करता है।

4.            यातायात संचार की समुचित व्यवस्था होने के कारण स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचने के पहले ही मरीज मौत के मुख में चला जाता है।

5.            अशिक्षा के कारण ग्रामीण जन स्वास्थ्य संबंधी समस्या को समझ नहीं पाने के कारण स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नही उठा पाते इसके लिए स्वास्थ्य कर्मियों की उदासीनता भी एक महत्वपूर्ण कारण है

6.            जनसंख्या वृद्धि भी एक महत्वपूर्ण कारक हैं जिसके कारण सभी व्यक्तियों तक मूलभूत सुविधाओं को पहुंचा पाना अत्यंत दुष्कर कार्य बन गया है।

7.            पर्याप्त कोष की अनुपलब्धता तथा कोष का आवश्यक स्थानों तक पहुंच पाना शासकीय चिकित्सालयों के प्रति लोगो में अविश्वास पैदा करती है

सुधार की चुनौतियांरू

ग्रामीण गरीब लोगों तक जन स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंच नहीं पाती है। उपचार के निजीेकरण से समस्या और जटिल हो गयी है ऐसे अनेक कारण हंै जिन पर गुणात्मक सुधार एक बड़ी चुनौती है -

1.            छत्तीसगढ़ राज्य विषय विशेषज्ञ चिकित्सक, स्टाॅफ नर्स, पर्याप्त संख्या में जुटाने में सफल नहीं हुआ हैं

2.            मेडिकल काॅलेज, नर्स प्रशिक्षण, पैरा मेडिकल शिक्षा की स्थिति पर्याप्त नहीं है

3.            स्वास्थ्य सुविधा बजट में अभी भी बहुत अंतर है

4.            हर स्तर में स्वास्थ्य सुविधाओं की प्रशासकीय व्यवस्था में सुधार करना होगा

5.            स्वास्थ्य शिक्षा, परिवार कल्याण कार्यक्रम का प्रचार - प्रसार करना होगा

6.            सम्पूर्ण स्वच्छता कार्यक्रम को और सक्रिय करने की आवश्यकता है।

7.            राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में अभी भी पूर्णतः ध्यान देने की आवश्यकता है राज्य के स्वास्थ्यगत संरचनात्मक सुधार के साथ - साथ गैर जिम्मेदारी और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण नही किया गया तो सारी नीतिगत योजना धरी रह जायेगी राज्य सरकार को इन चुनौतियों को स्वीकार करते हुए ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं को स्वस्थ बनाने के लिए प्रयास करना होगा।

 

संदर्भरू

1.            मदन (जी.आर.) विकास का समाजशास्त्र, 2001 विवेक प्रकाशन दिल्ली

2.            डमीजं ;त्द्ध त्नतंस क्मअमसवचउमदज चवसपबपमे ंदक चतवहतंउे 1984ण् ैंहम छमू क्मसीप

3.            ैवदप ;ठंसइपतद्ध त्महवती चतवेचमबजे वित तनतंस कमअमसवचउमदज 2001 व्तपमदज चनइसपबंजपवद ण् छमू क्मसीपण्

4.            छंींत न्ण्त्ण् बींदकंीप ंउइपां ेवबपवसवहत ितनतंस कमअमसवचउमदजण् त्ंूंज चनइसपबंजपवदए श्रंपचनत ंदक छमू क्मसीपण्

5.            लवनिया (एम.एम.) चिकित्सा समाजशास्त्र 1998, काॅलेज बुक डिपों, जयपुर

6.            ळवंस ;ैण्स्ण्द्ध च्नइसपब ीमंसजी ंकउपदपेजतंजपवद 1984 ैजतमतजपदह च्नइसपेीमते च्तपअंजम सपउपजमकण् छमू क्मसीपण्

 

Received on 15.02.2011

Accepted on 15.03.2011     

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Research J.  Humanities and Social Sciences. 2(1): Jan.-Mar. 2011, 25-26