जिला कबीरधाम में खाद्य सुरक्षा की दशाएंॅ

 

डाॅ. उमा गोलेे1 एवं विमल देवांगन2

1वरि. सहा.प्राध्यापक , एवं 2शोध छात्र, भूगोल अध्ययन शाला, पं. रविशंकरशुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर छग

 

शोध सार-

प््रास्तुत अध्ययन पूर्णतः द्वितीयक आंकडों पर आधारित है छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तर-पश्चिम में जिला कबीरधाम स्थित है 2011 की जनगणना के आधार पर जिले की कुल जनसंख्या 822239 जिसमें 21.9 प्रतिशत जनजातीय हैं जनजातियों में बैगा एवं गोंड़ प्रमुख हैं अध्ययन हेतु जिले के सम्पूर्ण विकासखण्डों को इकाई माना है उल्लेखनीय है कि खाद्य सुरक्षा का प्रत्यक्ष संबंध कृषि उत्पादकता द्वारा प्राप्त होता है साथ ही कृषि उत्पादन का सीधा प्रभाव क्षेत्र विशेष की भूवैन्यासिक दशाओं द्वारा निर्धारित होता है अस्तु अध्ययन का मुख्य उद्ेश्य प्रदेश में कृषि के अंतर्गत फसल उत्पादन पर आधारित मूल्य के रूप में खाद्यान्न उपलब्धता का मापन कर  खाद्य सुरक्षा प्रतिरूप प्रस्तुत करना है जिले में खाद्य सुरक्षा की गणना हेतु नूर मोहम्मद ;2002द्ध तकनीकी का प्रयोग किया गया गणना के आधार पर प्राप्त मानों को तीन श्रेण्यिों में यथा- सुरक्षित, आंशिक असुरक्षित एवं असुरक्षित खाद्य सुरक्षा में वर्गीकृत किया

 

म्ुाख्य शब्द -

फसल उत्पादन, उपभोग इकाई, सकल खाद्य उपलब्धता, मूल्य के रूप में शुद्ध खाद्य उपलब्धता एवं खाद्य सुरक्षा प्रतिरूप

 

प्रस्तावना

पर्याप्त खाद्य पदार्थ जीवन की प्राथमिक आवश्यकता है, हालांकि देश में खाद्य उत्पादन पिछले 60 वर्षों में लगभग चार गुना में वृद्धि हुई है अस्तु पहले की तुलना में खाद्य समस्या की गंभीरता में कमी आई है लेकिन लगातार बढ़ती जनसंख्या, वर्षा की अनिश्चिता एवं सूखे के कारण खाद्यानों के उत्पादन में कमी प्राप्त हुई है उल्लेखनीय है कि मानव का स्वास्थ्य एवं उचित पोषण किसी क्षेत्र विशेष कि आर्थिक प्रगति का प्रतीक होता है जो संतुलित आहार द्वारा ही प्रभावित एवं नियंत्रित होते हैं यद्यपि हमारा देश हरित क्रांति के फलस्वरूप खाद्यान्न उपलब्धता मंे आत्मनिर्भर रहा है साथ ही खाद्यानों का उत्पादन भी बढ़ा है लेकिन वर्तमान में हमारा देश घरेलू खाद्य सुरक्षा की समस्या से जूझ रहा हैं के.एम.मोदी ;2012द्धने कहा कि जहां वर्ष 1961 में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन खाद्यान्न उपलब्धता 468.7 ग्राम थी वहीं वर्तमान में घटकर मात्र 439.3 ग्राम हो गई है एम.एस. स्वामीनाथन ;2009द्ध ने अपने प्रतिवेदन में कहा कि ग्रामीण भारत में खाद्य सुरक्षा की स्थिति देश के विभिन्न राज्यों में खाद्य सुरक्षा के स्तर का विस्तृत वर्णन किया और विश्लेषण के दौरान पाया कि देश में कुपोषण के शिकार लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है वर्ष 1990 के बाद लोगों में कुपोषण स्तर में जो सुधार आया था अब उसमें फिर गिरावट रही है

 

विश्व बैंक ;1986द्धने खाद्य सुरक्षा की संकल्पना को स्पष्ट  करते हुए कहा है कि खाद्य श्सुरक्षाश् में प्रत्येक व्यक्ति को उसके स्वस्थ्य जीवन यापन हेतु भरपूर पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना है खाद्य उत्पादन में कमी, बढ़ती बेरोजगारी और देश में गरीबों की क्रय शक्ति में कमी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् ;प्ब्डत्द्ध, हैदराबाद द्वारा देश के विभिन्न भागों में विगत 50-60 वर्षो से पोषण संबंधी कई सर्वेक्षण किए गए तथा सर्वे के दौरान पाया कि भारत की अधिकांश जनसंख्या कुपोषण ;डंसदनजतपजपवदद्ध एवं अल्प पोषण ;न्दकमत छनजतपजपवदद्ध से पीड़ित हैै अध्ययन क्षेत्र मुख्य रूप से आदिवासी बाहुल्य पिछड़ा क्षेत्र के अंतर्गत है जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि करना है जिले में धान प्रमुख खाद्यान फसल है जनजातीय  क्षेत्रों के विकास का प्रभाव आज भी नगण्य है इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते, हुए कबीरधाम जिले में खाद्य सुरक्षा की दशाओं का भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में विश्लेषण करना, अध्ययन का मुख्य उदेश्य है

 

उद्ेश्य

1.   अध्ययन क्षेत्र में विभिन्न फसलोत्पादन का आकलन करना

2.   प्रदेश में उपभोग इकाई गुणांक ज्ञात करना

3.   अध्ययन क्षेत्र में मूल्य के रूप में खाद्यान्न उपलब्धता का विश्लेषण करना

4.   विश्लेषित मूल्यों के आधार पर खाद्य-सुरक्षा प्रतिरूप प्रस्तुत करना

 

अध्ययन क्षेत्र

छत्तीसगढ़ राज्य के जिला कबीरधाम की भौगोलिक स्थिति 21°44‘ से 22° 32‘ उत्तरी अक्षांश एवं 80° 48‘ से 81° 34‘ पूर्वी देशान्तर के मध्य जिसमें कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 4447.05 वर्ग किलोमीटर है 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या 8222239 है जिसमें 734894 ग्रामीण जनसंख्या है वहीं जनजातीय का प्रतिशत 21.9 है।प्रशासनिक दृष्टि जिले में 02 तहसील 04 विकासखण्ड़, 09 राजस्व मंडल एवं 949 आबाद ग्राम है जिसमें 53 वीरान ग्राम सम्मिलित है जिलेकी अपवाह प्रणाली में हाफ तथा टोंक नदी है जो शिवनाथ की सहायक है

 

आंकड़ों के स्रोत एवं विधितन्त्र

प्रस्तुत शोध पत्र पूर्णतः द्वितीयक आंकड़ों पर आधारित है आंकड़ों की प्राप्ति हेतु जिला सांख्यिकीय पुस्तिका कार्यालय एवं वर्ष 2010-11 के कृषि संबंधित आंकड़े उपसंचालक, कृषि विभाग,जिला कबीरधाम से प्राप्त किये गये हैं अध्ययन हेतु जिले के विकासखण्ड को इकाई का आधार माना गया है प्राप्त आंकड़ों द्वारा  अध्ययन को सुगम एवं सुबोध बनाने हेतु सारणीएवं उपयुक्त मानचित्रों का भी उपयोग किया गया है खाद्य सुरक्षा कृषि उत्पादकता का द्योतक हैं।अतः अनेक भूगोलवेत्ताओं ने विकासशील देशों के संदर्भ में खाद्य सुरक्षा प्रतिरूप प्रस्तुत किया है जिसमें प्रमुख चक्रवर्ती ;1970द्ध वाल्डस ;1981द्ध,श्रीवास्तव  ;1993द्ध ,एण्डरसन ;1999द्ध भट्टाचार्य ;2001द्ध एवं नूर मोहम्मद ;2002द्धए शर्मा, एस.के ;2011द्ध उल्लेखनीय है प्रस्तुत शोध पत्र नूर मोहम्मद ;2002द्ध द्वारा सुझाई विधि प्रयोग मेें लायी गयी है

     

परिकलन के दौरान वर्ष 2010-11की विकास खण्डवार अनुमानित औसत जनसंख्या का उपयोग किया है, क्योंकि कृषि संबंधी आंकडे भी उन्हीं वर्ष के औसत है जनसंख्या की मांग, लिंग, आयु एवं व्यावसायिक आय तथा संस्कृति के अनुसार पृथक-पृथक होते हैं इस विभिन्नता को दूर करने के लिए जनसंख्या को श्उपभोग इकाईश् में परिवर्तित किया है तद्नुसार परिकलन हेतु प्रत्येक इकाई की औसत जनसंख्या को 0.773 गुणांक से गुणा करके जनसंख्या को उपभोग इकाई में परिवर्तित किया गया है  इस प्रकार श्उपभोग इकाई गुणांकश् ज्ञात किया तद्पश्चात् सभी फसलों के विकास खण्डवार औसत उत्पादन लेकर उनसे संबंधित फसलों के औसत मूल्य से गुणा करके प्रत्येक विकासखण्ड के उत्पादित फसलों का मूल्य ज्ञात किया लेकिन उत्पादित समस्त खाद्य पदार्थों का पूर्णतः उपयोग श्खाद्यश् के रूप में नहीं हो पाता अतः इसकी कुछ मात्रा बीज केे लिए, परिवहन, भण्डारण, कीट एवं जानवरों द्वारा हानि के कारण उपभोग के लिए उपयुक्त नहीं होता अस्तु विभिन्न चरणों में नष्ट होने वाली इस मात्रा का गुणांक ;ब्व.मििपबपमदज द्धपरिकलित किया गया जो कि प्रति इकाई के सापेक्ष में 0.832 है इसे श्सकल खाद्य उपलब्धता मूल्य से गुणा करके श्निरा खाद्य उपलब्धताश् ;छमज विवक अंपसंइपसपजलद्ध ज्ञात किया यह मूल्य खाद्य पदार्थों के क्रय की सामथ्र्य का प्रतीक है इस प्रकार प्रत्येक इकाई की समस्त फसलों के निरा मूल्य को उस इकाईके उपभोग इकाई ;भारित जनसंख्याद्ध से विभाजित कर प्रति व्यक्ति उपलब्ध मूल्य को परिकलित कर इसे तीन श्रेणियो में - सुरक्षित, आंशिक सुरक्षित एवं असुरक्षित  खाद्य सुरक्षा  में वर्गीकृत किया

 

उपभोग इकाई  वितरण प्रतिरूप

अध्ययन क्षेत्र में नूर माहेम्मद द्वारा सिंह के अनुमान के अनुसार 1000 व्यक्ति पर 773 उपभोग इकाई माना है अतः उपर्युक्त परिकलित मानों के आधार पर प्रति व्यक्ति 0.773 उपभोग इकाई है इस प्रकार उपभोग इकाई गुणांक ज्ञात किया गया विश्लेषण के दौरान पाया कि क्षेत्र में  उच्च उपभोग इकाई पण्डरिया विकासखंड वहीं मध्यम उपभोग इकाई कवर्धा एवं बोडला तथा सहसलोहारा निम्न उपभोग इकाई में वर्गीकृत किया ;सारणी एवं मानचित्र- 01द्ध।

 

सारणी क्रमांक-1

जिला कबीरधाम: उपभोग इकाई वितरण प्रतिरूप, 2010-11

वर्ग  कुल उपभोग इकाई    विकासखण्ड की संख्या एवं नाम  कुल जिलों का प्रतिशत

उच्च 1,30,000     01 -पण्डरिया    25

मध्यम    1,00,000-1,30,000   02-कवर्धा, बोडला     50

निम्न     1,00,000     01-सहसलोहारा  25

स््राोत-व्यक्तिगत गणना

  

 

मानचित्र-1

मूल्य के रूप में खाद्य उपलब्धता प्रतिरूप

प्रदेश में खाद्य उपलब्धता वितरण प्रतिरूप नूर मोहम्मद ;2002द्ध विधि पर आधारित है क्योंकि यह मूल्य खाद्य पदार्थों  के क्रय की सार्मथ्य का प्रतीक होता है खाद्य उपलब्धता मापन की कई विधियां है यथा- वजन, प्रमाणित पोषण इकाई, कैलोरी एवं मूल्य के आधार पर किया जाता है प्रस्तुत अध्ययन के परिकलन में मूल्य का उपयोग किया गया है सकल उत्पादन से 16.8 अनुपलब्ध मात्रा को घटाने पर प्राप्त गुणांक 0.832 का जिले के कुल उत्पादन मूल्य से गुणा करके शुद्ध उपलब्ध मात्रा ज्ञात किया तथा इसे कुल फसली क्षेत्र से भाग देकर प्रति हेक्टर उत्पादन प्राप्त किया एवं इसे तीन भागों में विभाजित कर उच्च, मध्यम एवं निम्न वितरण प्रतिरूप में वर्गीकृत किया ;सारणी-2,मानचित्र-2द्ध।

 

 

सारणी क्र.-2

जिला कबीरधाम: मूल्य के रूप में प्रति हेक्टर शुद्ध उत्पादकता,   ; 2010-11द्ध

वर्ग  मूल्य ;रूपयेद्ध विकासखण्ड

का नाम   कुल विकासखण्ड का प्रतिशत

उच्च 35,000   सलोहारा,

पण्डरिया        50

मध्यम    30,000-35,000   बोडला          25

निम्न     30,000  कर्वधा          25

स््राोत-व्यक्तिगत गणना

   

मानचित्र-2

 

मूल्य के रूप में खाद्य सुरक्षा वितरण प्रतिरूप

अध्ययन क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा की गणना हेतु प्रत्येक इकाई से प्राप्त  शुद्ध  खाद्यान उपलब्धता को संबंधित इकाई की उपभोग इकाई से भाग देकर प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष खाद्यान उपब्लध मूल्य ज्ञात की गयी इस प्रकार वर्तमान कीमत के स्तर पर प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष रूपये 5000 जीवन निर्वाह के उपयुक्त है तद्पश्चात् प्राप्त मानों को सुरक्षित, आंशिक सुरक्षित एवं असुरक्षित तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया ;मानचित्र-3 एवं सारणी-3

 

 

 

 

सारणी-3

जिला कबीरधामः मूल्य के रूप मेंखाद्य सुरक्षा प्रतिरूप, 2010-11

वर्ग  उपलब्धता रूपये मेंद्ध विकासखण्ड

केे नाम  क्ुल विकासखण्ड का प्रतिशत

सुरक्षित    10,000   पण्डरिया,

बोडला     50

आंशिक असुरक्षित     5,000-10,000    कवर्धा     25

असुरक्षित  5000     लोहारा     25

स््राोत-व्यक्तिगत गणना

 

 

मानचित्र-3

 

सुरक्षित श्रेणी

जिले के उत्तर-पश्चिम मंें स्थित जिले का बोडला विकासखण्ड के अधिकांश भाग मैकाल श्रेणी के अंतर्गत होते हुए भी यह क्षेत्र खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षित श्रेणी में आने का कारण यहां जनसंख्या घनत्व 80 व्यक्ति प्रत्रि वर्ग कि.मी. अपेक्षाकृत कम  विरल जनसंख्या वाला क्षेत्र है तथा जिले के 50 प्रतिशत 02 विकासखण्ड में फैले हैं साथ ही यह क्षेत्र आग्नेय बेसाल्ट तथा लावा काली मिट्टी का जमाव एवं कृषि योग्य भूमि की अधिकता है वहीं पण्डरिया विकासखण्ड का कुछ भाग मंैदानी क्षेत्र, कृषक की अधिक संख्या होने से भूजोत, समतल भूमि एवं हाफ नदी द्वारा नहरों का विकास के फलस्वरूप सिंचाई की सुविधा अधिक है जिससे कृषि उत्पादन अपेक्षाकृत अधिक है इसलिए इस क्षेत्र की जनसंख्या खाद्य सुरक्षा की दृषि से सुरक्षित है  इन दोनोें विकासखण्ड में शासन द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत 32.87 प्रतिशत बी.पी.एल. जिसमें  केसरिया, स्लेटी, पीला, लाल, केसरिया 10 किलो एवं  अन्नपूर्णा बैगनी राशन कार्ड तथा 33.50 प्रतिशत .पी.एल राशन कार्ड के सर्वाधिक सुविधाओं का प्रभाव प्रमुख है

 

आंशिक असुरक्षित श्रेणी

इस श्रेणी के अंतर्गत जिले के कवर्धा विकासखण्ड का 25 प्रतिशत क्षेत्र में है यह विकासखण्ड मैदानी भाग में विस्तृत हैं जिले के पूर्वी भाग जिसकी जनसंख्या 26.8 प्रतिशत तथा जनसंख्या घनत्व 218 व्यक्तिप्रति वर्ग किलोमीटर हैं कुल कृषि भूमि का 24.1 प्रतिशत कुल फसली क्षेत्र के अंतर्गत है साथ ही 33 प्रतिशत सिंचित अर्थात् सिंचाई सुविधाओं में नहर एवं नलकूप की संख्या सबसे अधिक है इसलिए यह क्षेत्र आंशिक असुरक्षित के अंतर्गत है;सारणी क्र.-3द्ध।

 

असुरक्षित श्रेणी

जिले के इस इकाई में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 5,000 से भी कम वाले लोहारा विकासखण्ड 25 प्रतिशत एक विकासखण्ड  को घेरे हुए है जिले के दक्षिण-पूर्वी भाग के अंतर्गत है यहां  सिंचाई सुविधाओं का अभाव, लैटेराइट एवं लाल मिट्टी अधिकता, कृषि उत्पादकता एवं खाद्य क्रयशक्ति अपेक्षाकृत कम  वंहीं शासन द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत 16.55 प्रतिशत बी.पी.एल. जिसमें  केसरिया, स्लेटी, पीला, लाल, केसरिया 10 किलो एवं  अन्नपूर्णा बैगनी राशन कार्ड तथा  17.80 प्रतिशत .पी.एल राशन कार्ड के  सबसे कम सुविधाओं का प्रभाव प्रमुख है अस्तु यह विकासखण्ड असुरक्षित श्रेणी के अंतर्गत है

 

इस प्रकार निष्कर्षतः जिले में खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से जिले की समस्त इकाई में खाद्य सुरक्षा  देश की तुलना में बहुत कम है अतः जिले में नियोजन द्वारा कृषि से संबंधित सुविधाओं का विकास एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के पर्याप्त सुविधाओं के साथ कृषि के प्रचार-प्रसार एवं लोगों में कृषि उत्पादन हेतु जागरूक करना महत्वपूर्ण साबित होगा जिससे भविष्य में खाद्य सुरक्षा स्तर में वृद्धि  हो सकेगा

 

संदर्भ

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Received on 10.05.2012

Revised on 11.06.2012

Accepted on 20.08.2012     

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Research J.  Humanities and Social Sciences. 3(3): July-September, 2012, 372-375