Author(s): एस एस तिवारी

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Address: एस एस तिवारी
सहाण् प्राध्याण् -इतिहास, शासकीय महाविद्यालय पिथौरा
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 5,      Issue - 4,     Year - 2014


ABSTRACT:
सापेक्षवादी धारणा स्पष्टतः यह स्वीकार करता है कि देश,काल,परिस्थितियां धारणाएं ,विचार मान्यताएं, विश्वास, जाति, धर्म, शिक्षा, संस्कार, समाज, भाषा, लिंग आदि मनुष्य को अनिवार्यतः प्रभावित करती है । इतिहासकार भी मनुष्य ही होता है तथा पृथक पृथक वातावरण मे निवास करने के कारण वह अलग अलग दृष्टिकोण से इतिहास का लेखन करता है अतः स्वाभाविक रूप से इतिहास लेखन दृष्टिसापेक्ष हो जाता है तथा एक ही घटना को लेकर अलग अलग इतिहासकारों के निष्कर्ष सापेक्षवादी होने के कारण पृथक पृथक हो जाते हैं । इस प्रकार ऐतिहासिक धारणाओं अथवा तथ्यों का देश, काल, परिस्थितियों समसामयिक धारणाओं मान्यताओं, विश्वासों, तथा विचारों के अनुरूप दृष्टि विशेष युक्त इतिहास लेखन होता है । यह एक विचारणीय प्रश्न है कि सापेक्षवाद अधिकंाश इतिहासकारो का ध्यान अब तक क्यों आकृष्ट नही कर सका है। सापेक्षवादी दृष्टि से दार्शिनिको के ज्ञानवाद विचारकों के विज्ञानवाद तथा अधिकाश इतिहासकारो के इतिहासवाद एवं इतिहासवाद के प्रमुख आधार बिन्दुओं - ऐतिहासिक तथ्य वस्तुनिष्ठता नैतिक न्याय एवं समाजिक मूल्य का मूल्याकंन प्रस्तुत किया गया है।


Cite this article:
एस एस तिवारी इतिहास लेखन की सापेक्षवादी दृष्टि. Research J. Humanities and Social Sciences. 5(4): October-December, 2014, 428-432.

Cite(Electronic):
एस एस तिवारी इतिहास लेखन की सापेक्षवादी दृष्टि. Research J. Humanities and Social Sciences. 5(4): October-December, 2014, 428-432.   Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2014-5-4-13


संदर्भ:-
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