Author(s): रूपेन्द्र कवि, अशोक प्रधान, राजेन्द्र सिंह

Email(s): Email ID Not Available

DOI: Not Available

Address: रूपेन्द्र कवि1 अशोक प्रधान एवं राजेन्द्र सिंह1
1अनुसंधान सहायक, आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, जगदलपुर(छ.ग.)
1व्याख्याता, मानव विज्ञान अध्ययन शाला, पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
*Corresponding Author:

Published In:   Volume - 2,      Issue - 2,     Year - 2011


ABSTRACT:
प्रस्तुत शोध बस्तर के जनजातियों में उपलब्ध परम्परागत चिकित्सा पद्धति एवं आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं तथा उनके प्रति जनजातियों के स्वास्थ्य व्यवहार, विश्वास एवं प्राथमिकता पर किया गया है । एकरनेट के अनुसार आदिम चिकित्सा एक जादुई चिकित्सा है। यह समाज द्वारा मान्यता प्राप्त सामाजिक औषधीय प्रणाली है, जो लोक चिकित्सकों सिरहा, गुनिया, पंजियार, पुजारी/गायता एवं वड्डे के माध्यम से परम्परागत रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होती रहती है। अध्ययन में बस्तर जिला ;वर्तमान में बस्तर एवं नारायणपुर जिलाद्ध में निवासरत बूझमाड़िया, मुरिया, गोंड, हल्बा, भतरा, धुरवा एवं दण्डामी माड़िया जनजातियाँ शामिल हैं । बस्तर जिला के 14 विकासखंडों में से 09 विकासखंडों के 18 ग्रामों का चयन उद्देश्य मूलक निदर्शन विधि से किया गया है। इन गांवों में निवासरत समस्त 785 जनजाति परिवारों से प्राथमिक तथ्यों का संकलन किया गया है । प्राथमिक तथ्यों के संकलन हेतु अर्धसहभागी अवलोकन, अनुसूची, साक्षात्कार निर्देशिका एवं व्यैयक्तिक अध्ययन प्रविधियों का प्रयोग किया गया है । इस तरह इस अध्ययन से यह निष्कर्ष निकलता है कि आज भी जनजातियों का स्वास्थ्य आधुनिक चिकित्सा पद्धति की अपेक्षा पारम्परिक चिकित्सा पद्धति पर अधिक निर्भर है । अतः रोगोपचार में किसी न किसी रूप में उनके धार्मिक विश्वास को ध्यान में रखते हुए उनके लोक चिकित्सकों का उपयोग किया जाना उचित होगा ।


Cite this article:
रूपेन्द्र कवि, अशोक प्रधान , राजेन्द्र सिंह. बस्तर के जनजातियों में स्वास्थ्य व्यवहार: एक मानववैज्ञानिक अध्ययन. Research J. Humanities and Social Sciences. 2(2): April-June, 2011, 68-72.

Cite(Electronic):
रूपेन्द्र कवि, अशोक प्रधान , राजेन्द्र सिंह. बस्तर के जनजातियों में स्वास्थ्य व्यवहार: एक मानववैज्ञानिक अध्ययन. Research J. Humanities and Social Sciences. 2(2): April-June, 2011, 68-72.   Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2011-2-2-7


lanHkZ xzaFk lwph%
1.   Russel R.V. & Hiralal Rai Bahadur (1916) : "Tribes and Caste of Central Prominance of India". Cosmo Publication, Delhi.
2.   Ackernecht, Erwin H. (1942) – "Problems of Primitive Medicine" in Bulletin of the Histoy of Medicine. XI, 503-21.
3.   Grigson W.V. (1949) – "The Mariya Gonds of Bastar", Londan Oxford University Press.
4.   Hall, Oswald (1951) – "Sociological Research in the field of Medicine: Progress and Propects", in American Sociological Review, XVI, 639-44.
5.     Naik T.B. – Edit. (1963) – "The Abujhmarias", Chhindwara Tribal Research Institute.
6.     Agrwal P.C. (1968) –                   “Human Geography of Bastar District,” Ganga brothers, P.B. 66 Allahabad, U.P.
7.     World Health Organisation (1978) - "The Promotion and Development o Tradtional Medicine: Technical Report", 622, Geneva, WHO.
8.     Tribhuwan Robbin & Gambhir R.D. (1995) – "Ethnomedical Pathway: A Conceptual Model" in Jain N.S. and Tribhuwan Robbin (eds), An overview of Tribal Research Studies TR&TI, Pune.
9.     Kalla A.K. & P.C. Joshi - Edit. (2004) – "Tribal Health and Medicine", New Delhi Concept Publishing Company.
10.   Pramukh K.E. Raj & P.D.S. Pal Kumar (2006) – ''Indigenous knowledge: Implications in Tribal Health and Disease". Tribes and Tribal, Vol. 4, No. 1, P.P. 1-6.

Recomonded Articles:

Author(s): रूपेन्द्र कवि, अशोक प्रधान, राजेन्द्र सिंह

DOI:         Access: Open Access Read More

Research Journal of Humanities and Social Sciences (RJHSS) is an international, peer-reviewed journal, correspondence in the fields of arts, commerce and social sciences....... Read more >>>

RNI: Not Available                     
DOI: 10.5958/2321-5828 


Recent Articles




Tags