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बी. एल सोनेकर, भूमिराज पटेल
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डाॅं बी. एल सोनेकर1, डाॅं भूमिराज पटेल2
1सहायक प्राध्यापक अर्थशास्त्र पं. रवि. शुक्ल वि., रायपुर.
2शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मानपुर.
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 4,
Issue - 1,
Year - 2013
ABSTRACT:
मूलतः ग्रामीण शब्द एक व्यापक शब्द है। आजादी के बाद से ही सरकार के समक्ष ग्रामीण क्षेत्रों का विकास एक महत्वपूर्ण चुनौती रहा है। आज भी भारत की करीब 70 प्रतिशत से ज्यादा आबादी गाॅवों में निवास करती है। जहां शिक्षा,स्वास्थ्य,स्वच्छता, बिजली, पानी का अभाव देखा जाता है वहीं गरीबी एवं बेरोजगारी की अधिकता देखने को मिलती है। यह सच है कि छः दशक बाद भारत के गाॅवों की तस्वीर काफी हद तक बदली है जिसमे पंचवर्षीय योजना का महत्वपूर्ण भूमिका रहा है अभितक ग्यारह पंचवर्षीय योजना पूर्ण हो चुकी है और बारहवीं पंचवर्षीय योजना अस्तिस्त्व में है जिसमे ग्रामीण विकास की व्यापक रुपरेखा खिंची गई है। विशेष कर ग्रामीण विकास के अन्र्तगत कृ़षि, शिक्षा, स्वास्थ, बिजली, सड़क, पानी, सिंचाई, उर्जा, रोजगार, गरीबों का विकास प्रमुखता से आता है किन्तु यह भी सच है भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था कृ़षि पर आधारित अर्थव्यवस्था है अतः सरकार को विभिन्न पंचवर्षीय योजना के माध्यम से कृ़षि से संबंधित लघु एवं कुटीर उघोगांे को बढ़ावा देने की आवश्यकता है ताकि लोगांे को रोजगाार उपलब्ध हो सके।
Cite this article:
बी. एल सोनेकर, भूमिराज पटेल. कृषि एवं ग्रामीण विकास (भारत में पंचवर्शीय योजना के संदर्भ में). Research J. Humanities and Social Sciences. 4(1): January-March, 2013, 98-100.
Cite(Electronic):
बी. एल सोनेकर, भूमिराज पटेल. कृषि एवं ग्रामीण विकास (भारत में पंचवर्शीय योजना के संदर्भ में). Research J. Humanities and Social Sciences. 4(1): January-March, 2013, 98-100. Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2013-4-1-20
सन्दर्भ गं्रथ
1. छत्तीसगढ़ आर्थिक सर्वेक्षण 2011-12
2. आर्थिक सर्वेक्षण 2011-12 वित्त मंत्रालय भारत सरकार
3. सुंदरम् एवं रूद्र दत्त, भारतीय अर्थव्यवस्था 2012.