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एच.एन.सिंह हाड़ा, आर.पी. सहारिया
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एच.एन.सिंह हाड़ा1’ , आर.पी. सहारिया2
1सहायक प्राध्यापक, राजनीति विज्ञान शास. महाविद्यालय, जौरा, जिला मुरैना (म.प्र.)
2सहायक प्राध्यापक, अर्थशास्त्र शास. जे.एम.पी. महावि., तखतपुर, बिलासपुर (छ.ग.)
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 4,
Issue - 1,
Year - 2013
ABSTRACT:
1991 के पश्चात नई आर्थिक उदारीकरण नीति तथा भूमण्डलीयकरण ने भारतीय बाजार के द्वार विदेशी व्यापारियों के लिये खोल दिये । इसमें कोई सन्देह नही है कि पिछले दो दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व सुधार हुआ है । परन्तु जब नई आर्थिक नीति घोशित की गई थी तब आशंका व्यक्त की गई थी कि इसके परिणाम भयंकर होंगे । आशंका निर्मूल साबित हुई तथा देश विकास के पथ की ओर अग्रसर है । पिछले दस वर्शो की स्थायी सरकार ने विदेशी व्यापारियों को अच्छा माहौल प्रदान किया और वे भारत में निवेश एवं व्यापार में अपनी रूचि प्रदर्शित कर रहे है । इसी क्रम में भारतीय सरकार ने खुदरा बाजार में एफ.डी.आई. को दिसम्बर 2012 में अनुमति दी । विपक्ष के लगातार विरोध के बावजूद संसद में एफ.डी.आई. का प्रस्ताव पास हुआ । एफ.डी.आई. लागू हो जाने से मल्टी ब्राण्ड रिटेल में विदेशी कम्पनियों की हिस्सेदारी 51 फीसदी जबकि सिंगल ब्राण्ड में 100 फीसदी हो जावेगी । प्रश्न यह उठता है कि वही विपक्ष जब सत्ता में था एफ.डी.आई. के पक्ष में था लेकिन आज विरोध कर रहा है । विरोध के नाम पर जो हंगामा हुआ उससे देश की जनता का काफी धन बर्वाद हुआ । एफ.डी.आई. के लिये मंजूरी मिलने से देश में विदेशी पूंजी का निवेश होगा तथा स्वदेशी व्यापार में भी वृद्धि होगी । आज के इस विश्व में हम अलग -थलग रहकर विकास नही कर सकते । प्रस्तुत शोध पत्र के माध्यम से यह समझाने का प्रयास किया गया है कि किस प्रकार भारतीय राजनीतिक दल राजनीति अपने वोट बैंक को ध्यान में रखते हुये करते है । एफ.डी.आई. क्या हैं ? इससे क्या क्या लाभ और नुकसान की सम्भावना है, जनता को इससे क्या लाभ होगा, आदि पर अपना सुझाव प्रस्तुत करना है ।
Cite this article:
एच.एन.सिंह हाड़ा, आर.पी. सहारिया. रिटेल में एफ.डी.आई. और भारतीय राजनीति. Research J. Humanities and Social Sciences. 4(1): January-March, 2013, 114-118.
Cite(Electronic):
एच.एन.सिंह हाड़ा, आर.पी. सहारिया. रिटेल में एफ.डी.आई. और भारतीय राजनीति. Research J. Humanities and Social Sciences. 4(1): January-March, 2013, 114-118. Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2013-4-1-24
सन्दर्भ:-
1. दैनिक पत्रिका, ग्वालियर 02 दिसम्बर 2012 पृश्ठ 02
2. दैनिक पत्रिका, ग्वालियर 02 दिसम्बर 2012 पृश्ठ 02
3. दैनिक पत्रिका, ग्वालियर 8 दिसम्बर 2012 पृश्ठ 8
4. दैनिक पत्रिका, ग्वालियर 5 दिसम्बर 2012 पृश्ठ 1
5. दैनिक पत्रिका, ग्वालियर, 5 दिसम्बर 2012 पृश्ठ 1
6. दैनिक जागरण ग्वालियर, 10 दिसम्बर 2012 पृश्ठ 8
7. दैनिक पत्रिका, ग्वालियर, 12 दिसम्बर 2012 पृश्ठ 6