ABSTRACT:
कमारों की उत्पत्ति बस्तर जिले में हुई है तथा बाद में वे रायपुर और धमतरी जिले में स्थानांतरित हुए हैं। कमारों की उत्पत्ति के संदर्भ में वर्तमान क्षेत्रकार्य से प्राप्त एक अन्य कथा के अनुसार- वे पांच भाई थे जो बस्तर क्षेत्र में निवास करते थे, इन भाईयों में दो भाईयों की आदत खराब हो गई तब इनमें बॅंटवारा हो गया। इनमें से एक भाई को नागर (हल) मिला जो कृषक हांे गया, जिसे गोड़ कहा जाने लगा, दूसरे को करघा मिला जो कोष्टी हो गया, तीसरे को चाक मिला जो कुम्हार हो गया, चैथे को बांस की बनी वस्तुएँ तथा कुदाल मिली जो कमार कहलाया तथा पांचवें को घट का नगाड़ा मिला जो गाड़ा जाति के रुप में जाना गया। जनगणना 2001 के अनुसार छत्तीसगढ़ में कमार जनजाति की कुल जनसंख्या 23113 है जो कि छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या का 0.11 प्रतिशत तथा छत्तीसगढ़ की जनजातियों की कुल जनसंख्या का 0.35 प्रतिशत है। इनमें पुरूषों की कुल जनसंख्या 11413 (49.37ः) तथा महिलाओं की कुल जनसंख्या 11700 (50.63ः) है। आज 21 वीं सदी में वैश्वीकरण के युग में कमार जनजाति बहुत हद तक अपनी आदिमता (प्रीमीटिव नेस) को बनाए हुए इनके इन तथ्यों की पुष्टि इस बात से होती है कि आज भी इनमें शिक्षा जैसी एक न्यूनतम आधुनिक सामाजिक स्थिति बहुत निम्न हैं। फिर भी इनकी संस्कृति पर बाह्य गैर जनजातीय ग्रामीण एवं शहरी संस्कृति का प्रभाव दिनों-दिन बढ़ते जा रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं कि अचानक, अव्यवस्थित एवं अनियोजित परिवर्तन किसी भी समाज में विघटन और असंतोष पैदा करता है, जब बात आदिम जनजाति की हो तब यह और भी घातक बन जाता है। यही कारण है कि संस्कृतिकरण के प्रभाव में कमार जनजाति बाह्य संस्कृति गैर जनजातीय संस्कृति की ओर आकृष्ट हो रहे हैं। और उसकी पूर्ति न होने की परिरिस्थिति में निराश होकर नक्सलवाद जैसे विनाशकारी कुचक्र में फँसते जा रहे हैं। अतः आवश्यकता है कि इनके विकास संबंधी सभी कार्यक्रमें में सतत् एवं तथस्ट निगरानी होती रहे और कार्यक्रमों को बहुत ही सावधानी पूर्वक से कई कार्यक्रमों को एक साथ लागू न कर चरणबद्ध तरीके से एक के बाद एक लागू करना चाहिए। ताकि इनमें असंतोष एवं निराशा के भाव जड़ न पकड़ पाये और वे नक्सलवाद जैसे संक्रामक रोग के प्रभाव से बच जाये।
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जितेन्द्र कुमार प्रेमी, प्रवीण कुमार सोनी, बृजेश कुमार नागवंशी, डिकेन्द्र खुॅंटे. विशेष पिछड़ी (आदिम) जनजाति कमारः एक नृजातिवृतांततात्मक परिदृश्य. Research J. Humanities and Social Sciences. 4(1): January-March, 2013, 179-184
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जितेन्द्र कुमार प्रेमी, प्रवीण कुमार सोनी, बृजेश कुमार नागवंशी, डिकेन्द्र खुॅंटे. विशेष पिछड़ी (आदिम) जनजाति कमारः एक नृजातिवृतांततात्मक परिदृश्य. Research J. Humanities and Social Sciences. 4(1): January-March, 2013, 179-184 Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2013-4-2-12
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