Author(s):
विजेन्द्र सिंह
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डाॅ0 विजेन्द्र सिंह
प्रवक्ता, इतिहास, ळैैै, जसिया, रोहतक, (गांॅव भगवतीपुर, जिला रोहतक)
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 4,
Issue - 2,
Year - 2013
ABSTRACT:
1857 में उत्तरी और मध्यि भारत में एक शक्तिषाली जन विद्रोह उठ खड़ा हुआ और उसने ब्रिटिष शासन की जड़ें तक हिला कर रख दीं। इसका आरम्भ तो कम्पनी की सेना के भारतीय सिपाहियों से हुआ, लेकिन जल्द ही इसने व्यापक रूप धारण कर लिया। लाखों-लाख किसान, दस्तकार तथा सिपाही एक साल से अधिक समय तक बहादुरी से लड़ते रहे और अपनी उल्लेखनीय वीरता और बलिदानों से उन्होंने भारतीय इतिहास में एक शानदार अध्याय जोड़ा।1 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में भारतीय स्त्रियों ने जो भूमिका निभाई तथा जिस निर्भीकता से अंग्रेजों से टक्कर ली उसने हिन्दुस्तान का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया। ऐसी ही एक वीर महिला थी अवध की बेगम हजरत महल जिसका जन्म 1820 ई0 में फैजाबाद (अवध) में हुआ। अवध की शान बेगम हजरत महल की जिन्दादिली की कहानी कौन नहीं जानता, लखनऊ में बेगम हजरत महल ने अंग्रेजी सरकार से जमकर लोहा लिया। बेगम को मैदान-ए-जंग में ब्रिटिष फौज से दो-दो हाथ करते देखकर भू-स्वामीयों, सिपाहीयों, किसानो, कर्मचारियांे, दलित वर्ग, पिछड़ी जातियों, हिन्दूओ मुसलमानों और बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी उनके साथ हथियार उठा लिये थे।2 तथा उनके साथ मर्दाने कपड़े पहन कर औरतों की टोली ने ब्रिटिष फौजों का मुकाबला किया था।
Cite this article:
विजेन्द्र सिंह. बेगम हजरत महल की भूमिका: 1857 के परिप्रेक्ष में. Research J. Humanities and Social Sciences. 4(2): April-June, 2013,
280-282.
Cite(Electronic):
विजेन्द्र सिंह. बेगम हजरत महल की भूमिका: 1857 के परिप्रेक्ष में. Research J. Humanities and Social Sciences. 4(2): April-June, 2013,
280-282. Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2013-4-2-32
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