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एवलाल मेंश्राम
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एवलाल मेंश्राम
संविदा सहायक प्रध्यापकए इतिहास अध्ययन शाला पं रवि शंकर वि.वि. रायपुर (छ.ग.)
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 4,
Issue - 3,
Year - 2013
ABSTRACT:
रूस में 1917 ई. में हुई क्रांति ने विश्व में विभिन्न स्थनो ंपर हो रहे अत्याचारों व शोषण प्रवृत्तियों के विरुद्ध संघर्षरत जन समूहों की आवाज को और भी सशक्त बनाया । भारतीय जनता नें भी इससे प्रेरित होकर उन पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाई । भारतीयों नें इस समय अपना विरोध प्रकट करपे के लिए पारंपरिक तरिकों को नही चुना। उस समय तक भारतीय राजनीति पटल पर महात्मा गांधी का अविर्भाव हो चुका था और उन्होने भारतीयों कांे विरोध प्रदर्शित करने का एक नवीन मार्ग सुझाया ।यह मार्ग था सत्याग्रह ।यह पूर्णतया अहिंसात्मक तरीका था। सत्याग्रह की परिभाषा देते हुए स्वतः गांधी जी नें कहा था ‘‘सत्य पर अटल रहना ही सत्याग्रह है ।सत्याग्रह असत्य को सत्य से व हिंसा को अहिंसा से जीतनें का नैतिक शास्त्र है इसका उद्देश्य धैर्य पूर्वक ,कष्ट सहकर ,अहिंसात्मक एवं उचित तरीके से सत्य को प्रकट करना , भूलों को सुधारना एवं भूल करने वालों का हृद्य परिवर्तन करना है।सत्याग्रह एक सरल किन्तु अचूक उपाय है ।
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एवलाल मेंश्राम. राजनांदगांव जिले मंे जंगल सत्याग्रहः बदराटोला के विशेष संदर्भ में. Research J. Humanities and Social Sciences. 4(3): July-September, 2013, 319-321.
Cite(Electronic):
एवलाल मेंश्राम. राजनांदगांव जिले मंे जंगल सत्याग्रहः बदराटोला के विशेष संदर्भ में. Research J. Humanities and Social Sciences. 4(3): July-September, 2013, 319-321. Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2013-4-3-6
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