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सरला शर्मा
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सरला शर्मा
भूगोल अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़ ।
Corresponding Author:
Published In:
Volume - 1,
Issue - 1,
Year - 2010
ABSTRACT:
मानवीय क्रियाओं में आर्थिक क्रियाओं का विषेश स्थान हैं, क्योंकि किसी क्षेत्र की जनसंख्या की आर्थिक संरचना उस क्षेत्र विषेश की जनांकिकी, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृश्ठभूमि का न केवल प्रतिबिंब है अपितु सामाजिक, आर्थिक विकास का आधार भी है । वर्तमान बदलते हुए परिवेश में तकनीकी एवं आर्थिक प्रगति तथा तीव्रगामी यातायात के साधनों से गांव एवं नगर की सामाजिक - आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिवेश में पर्याप्त विभिन्नताएं उत्पन्न हुई है, विशेषकर नगर एवं महानगरों में औद्योगिक एवं व्यापारिक विकास से रोजगार की उपलब्धता में निरंतर वृद्धि हुई है, जिसने पुरूशों के साथ महिलाओं की भी क्रियाषीलता को प्रभावित किया है । इसें स्त्री शिक्षा के उत्कृश्ट परिणाम उभर कर आए हैं ।
सामान्यता, श्रमशक्ति संघटन, लिंग, आवास एवं आयु द्वारा परिवर्तनश्ील होता है । मेहता (1967) के अनुसार विष्व के अधिकांश समाजों में रोजी रोटी का दायित्व मुख्यतया पुरूशों पर होता है, इसीलिए विष्व के सभी देशों में स्त्रियों की अपेक्षा पुरूशों की संख्या श्रमशक्ति में अधिक है । तथापित वर्तमान परिवेश में सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक महिलाओं की क्रियाशीलता में अब बाधक नहीं रहे । स्त्रियों की क्रियाशीलता, घर से बाहर जाने की स्वयत्रंता, आर्थिक आवष्यकताएं जो सभी कार्य को करने को मजबूर करती है, स्त्रियों के लिए उपयुक्त रोजगार की उपलब्धता तथा स्त्रियों की काम करने के प्रति इच्छा से प्रभावित होती है । परिणामतः स्त्रियों की उच्च स्तर की शिक्षा तथा कार्य के प्रति जागरूकता से नगर एवं महानगरों में पुरूश को महिलाओं के साथ रोजगार प्राप्त करने में जहां कड़ी-प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है वहीं, उनके समक्ष रोजगार एक चुनौती भी बनते जा रही है । तथापित महिलाओं की आर्थिक क्रियाशीलता से न केवल स्त्रियों की आत्मनिर्भरता को प्रश्रय मिला है, अपितु उनके परिवार की सामाजिक आर्थिक स्थिति में भी सकारात्मक सुधार भी हुए हैं ।
उद्देश्य-
प्रस्तुत अध्ययन का मुख्य उद्देष्य बिलासपुर नगर की क्रियाशील महिलाओं की कार्यशीलता प्रतिरूप का विष्लेशण करना तथा उनके आर्थिक सहभागिता से परिवार एवं उनके जीवन की गुणवत्ता को रोजगार के पूर्व एवं बाद की स्थिति के संदर्भ में मूल्यांकन करना है ।
विधितंत्र -
प्रस्तुत अध्ययन वर्श 2007 के व्यक्तिगत सर्वेक्षण से प्राप्त प्राथमिक आंकड़ों पर आधारित है । बिलासपुर नगर की क्रियाशील महिलाओं का आय स्तर एवं कार्य प्रतिरूप के आधार पर उनके कार्यस्थल में जाकर दैवनिदर्शन द्वारा चयन किया गया । इस प्रकार निम्न एवं निम्नमध्यम आय स्तर से 40-40ः कार्यशील महिलाएं एवं मध्यम आय स्तर से 13ः तथा उच्च आय स्तर से 7ः महिलाएं चयनित किए गए । महिलाओं के सभी महत्वपूर्ण कार्य क्षेत्र को दृश्टिगत रखते हुए शिक्षा, बैंक, शासकीय सेवा, निजी संस्था में सेवा, उद्योग, निर्माण स्थल, चिकित्सालय, दुकान/व्यापार मजदूर एवं घरेलू मजदूर इत्यादि से महिलाओं का चयन किया गया । इस प्रकार नगर से कुल 454 कार्यशील महिलाएं चयनित हुई है, जो नगर की कुल कार्यशील महिला (13853) का 3.3ः है । महिलाओं के कार्य प्रतिरूप एवं जीवन की गुणवत्ता से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए अनुसूची का प्रयोग किया गया । जीवन की गुणवत्ता ज्ञात करने के लिए रोजगार के पूर्व एवं बाद में महिला परिवार के उपभोग वस्तुओं यथा औद्योगिक उपभोग, उर्जा उपभोग, खाद्य सामग्री उपभोग तथा आवासीय स्थिति से मानक इकाईयों को गुणवत्ता के आधार पर भार देकर उनका पृथक-पृथक औसत भार सूचकांक ज्ञात किया गया । तत्पष्चात् सभी मानक इकाई का संयुक्त औसत भार सूचकांक ज्ञात कर उन्हें तीन वर्गों-निम्न, मध्यम एवं उच्च में विभाजित कर जीवन की गुणवत्ता का स्तर का विष्लेशित किया गया ।
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सरला शर्मा. बिलासपुर नगर की कार्यषील महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता. Research J. of Humanities and Social Sciences. 1(1): Jan.-March 2010, 01- 04.
Cite(Electronic):
सरला शर्मा. बिलासपुर नगर की कार्यषील महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता. Research J. of Humanities and Social Sciences. 1(1): Jan.-March 2010, 01- 04. Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2010-1-1-1
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