Author(s): रश्मि शर्मा एवं अशोक प्रधान

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Address: रश्मि शर्मा1 एवं अशोक प्रधान2
1आदिम जाति शोध संस्थान, रायपुर (छ0ग0).
2मानवविज्ञान अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छ0ग0).
Corresponding Author:

Published In:   Volume - 1,      Issue - 1,     Year - 2010


ABSTRACT:
मानव जीवन के विकास के तीन महत्वपूर्ण सूचक हैं, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं आय। इन तीनों के स्तर में सकारात्मक वृद्धि के साथ ही मानव जीवन में गतिशीलता और किसी एक के भी पीछे छूटने का अर्थ गतिशीलता में ठहराव स्वाभाविक है । भारत सरकार द्वारा पांचवें पंचवर्षीय योजना की मध्यावधि में कुल 52 जनजाति समुदायों को शिक्षा के निम्न स्तर, निम्न आर्थिक स्थिति एवं स्थिर जनसंख्या वृद्धि दर के आधार पर विशेष पिछड़ी जनजाति के रूप में चिन्हित किया गया था । आदिम अवस्था की आर्थिकी एवं जीवन यापन करने के कारण इन्हें आदिम जनजाति कहते हैं । वर्तमान् में संपूर्ण भारत में इनकी संख्या 75 है । भारत सरकार जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा अधिसूचित इन 75 जनजातियों में से 5 आदिम जनजातियां छत्तीसगढ़ में निवासरत् हैं । आदिम जनजाति ‘कमार‘ इन पांच अधिसूचित जनजातियों में से एक है । वर्ष 2001 की जनगणनानुसार छत्तीसगढ़ में जनजातीय जनसंख्या का प्रतिशत 31.76 प्रतिशत है । देश की कुल अनुसूचित जनजातियों का 8.44 प्रतिशत जनसंख्या छत्तीसगढ़ राज्य में निवासरत है । छत्तीसगढ़ में कमारों की कुल जनसंख्या 23,113 है जिसमें से 11,413 पुरुष एवं 11,700 स्त्रियां हैं । इनकी कुल साक्षरता दर जनगणना 20001 के अनुसार 25.64 प्रतिशत है ।


Cite this article:
रश्मि शर्मा एवं अशोक प्रधान. महासमुंद जिले के कमारों की आर्थिक स्थिति एवं विकास प्राधिकरण के कमारों के साथ तुलनात्मक मानवशास्त्रीय अध्ययन. Research J. of Humanities and Social Sciences. 1(1): Jan.-March 2010, 9-12

Cite(Electronic):
रश्मि शर्मा एवं अशोक प्रधान. महासमुंद जिले के कमारों की आर्थिक स्थिति एवं विकास प्राधिकरण के कमारों के साथ तुलनात्मक मानवशास्त्रीय अध्ययन. Research J. of Humanities and Social Sciences. 1(1): Jan.-March 2010, 9-12   Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2010-1-1-3


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RNI: Not Available                     
DOI: 10.5958/2321-5828 


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