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उमा गोले
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उमा गोले
वरि. व्याख्याता, भूगोल अध्ययन शाला, रविशंकरशुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर छ.ग.
*Corresponding Author:
Published In:
Volume - 2,
Issue - 3,
Year - 2011
ABSTRACT:
आज देश के आर्थिक विकास के लिए जनसंख्या वृद्धि एक चुनौती के रूप में सामने आयी है। भूमि एक ऐसा संसाधन है जिसकी मात्रा सीमित है, साथ ही मानव जीवन का अस्तित्व बनाये रखने में इसका सर्वाधिक योगदान है। प्रकृति ने हमें अनेक संसाधन उपलब्ध कराये हैं,यदि इन संसाधनों का उपयोग विवेकपूर्ण तथा मितव्ययता पूर्ण ढं़ग से किया जाय तो निश्चित रूप से अनेक विकराल समस्याओं से भी निपटा जा सकता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ के दुर्ग जिले का भूमि उपयोग एवं शस्य गहनता का स्थानिक एवं कालिक स्वरूप का अध्ययन किया गया है, जिससे आगामी नियोजन हेतु रूपरेखा तैयार की जा सके। प्रस्तुत अध्ययन द्वितीयक आंकडों पर आधारित है। आंकड़ों का संकलन वर्ष 1983-84,1993-94 एवं 2003-2004 से प्राप्त जिला सांख्किीय पुस्तिका, उप-संचालक, कृषि विभाग, एवं भू-अभिलेख कार्यालय, दुर्ग से प्राप्त किया गया है। अध्ययन हेतु जिले के सभी तहसीलों को इकाई माना है। शस्य गहनता के परिकलन हेतु बी. एस. त्यागी द्वारा प्रतिपादित प्रविधि अपनायी गयी है। तत्पश्चात् प्राप्त परिकलित आंकड़ों को अति उच्च, उच्च, मध्यम एवं निम्न चार स्तरों में वर्गीकृत किया गया हैै।जिले में अतिउच्च गुरूर तहसील में 161.6 जबकि धमधा तहसील में 122.02 निम्न शस्य गहनता सूचकांक प्राप्त हुआ।
Cite this article:
उमा गोले, जिला दुर्ग (छ.ग.) का भूमि उपयोग एवं शस्य गहनता का कालिक एवं स्थानिक स्वरूप. Research J. Humanities and Social Sciences. 2(3): July-Sept., 2011, 79-83.
Cite(Electronic):
उमा गोले, जिला दुर्ग (छ.ग.) का भूमि उपयोग एवं शस्य गहनता का कालिक एवं स्थानिक स्वरूप. Research J. Humanities and Social Sciences. 2(3): July-Sept., 2011, 79-83. Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2011-2-3-1
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