ABSTRACT:
राज्य के नगरीय जनसंख्या वृद्धि के अध्ययन से स्पश्ट होता है कि नगरों की संख्या, उनके आकार में परिवर्तन एवं नगरीय जनसंख्या की वृद्धि का प्रतिशत अंतर में असमानता है। अर्थात् नगरीकरण का स्वरूप असंतुलित है। स्वतंत्रता पूर्व नगरीय जनसंख्या वृद्धि की गति मंद रही किन्तु स्वतंत्रता के पश्चात् औद्योगिकरण में वृद्धि नगरों का विकास, अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन व रोजगार के कारण नगरों में जनसंख्या का संकेन्द्रण बढ़ा है। इसके अतिरिक्त राज्य में भारी संख्या में उद्योगों एवं व्यापारिक प्रतिश्ठानों की स्थापना, उनके ग्रामीण बस्तियों का नगरीय दर्जा प्राप्त करना एवं नये-नये नगरों का निर्माण के साथ उनके आकार में भारी वृद्धि करना है। इससे राज्य के नगरीय जनसंख्या एवं भागौलिक, आर्थिक एवं सामाजिक क्रियाओं को बल मिलेगा जिससे छत्तीसगढ़ राज्य विकास की दिशा को प्राप्त कर सकेगा।
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डाॅ. अर्चना सेठी. छत्तीसगढ़ मे नगरीय जनसंख्या की प्रवृत्ति (एक आर्थिक एवं भौगोलिक अध्ययन). Research J. Humanities and Social Sciences. 2(3): July-Sept., 2011, 115-118.
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डाॅ. अर्चना सेठी. छत्तीसगढ़ मे नगरीय जनसंख्या की प्रवृत्ति (एक आर्थिक एवं भौगोलिक अध्ययन). Research J. Humanities and Social Sciences. 2(3): July-Sept., 2011, 115-118. Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2011-2-3-8
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