ABSTRACT:
छत्तीसगढ़ राज्य में खनिज संसाधनों की उपलब्धता तथा औद्योगिकरण के लिए अनुकूल वातावरण के कारण औद्योगिक विकास की संभावनाएँ विद्यमान है संसाधनों के परिपूर्णता के बाद भी छत्तीसगढ़ औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। छत्तीसगढ़ में केन्द्रीय तथा स्थानीय स्तर पर अनेक उद्योग विद्यमान है जैसे - भिलाई स्पात संयंत्र, सीमेन्ट उद्योग, खनन उद्योग, एन.टी.पी.सी. एल्युमिनियम आदि पर आधारित संयंत्र। प्रदेश में वनोपज पर आधारित अनेक उद्योग भी स्थापित है जो जनजातियों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य कृषि प्रधान होने के कारण कृषि आधारित उद्योगों के लिए भी विकास की सम्भावनाएँ विद्यमान है। द्वितीय नियोजन काल से छत्तीसगढ़ में नियोजित औद्योगिक विकास की प्रक्रिया का प्रारंभ हुआ इससे पूर्व यहाँ बड़े उद्योगों में राजनांदगाँव में 1896 में स्थापित बंगाल, नागपुर, काॅटन मिल एवं रायगढ़ में सन् 1935 में स्थापित जूट मिल ही थे। भारत के अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में उद्योगों का विकास अत्यन्त धीमा रहा। ब्रिटिश शासन काल में क्षेत्र के औद्योगिक विकास के लिए विशेष प्रयास नहीं किया गया। अंचल छोटे-छोटे रियासतों में विभक्त था तथा वे स्वावलंबी इकाई के रूप में ब्रिटिश अधीनता में कार्य करती थी तथा इन रियासतों का ध्यान प्रदेश के आर्थिक विकास में नहीं था। मध्य प्रांत के अंतर्गत अंचल के संसाधनों का उपयोग सीमित था विशेष कर वन संपदा का ही दोहन किया जाता था किन्तु वनों पर आधारित उद्योगों का विकास नहीं हुआ था। 1956 में पुनर्गठित मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया जिसमें बरार को पृथक कर छत्तीसगढ़ के 14 रियासतों को सम्मिलित कर लिया गया तथा इस क्षेत्र को मध्यप्रदेश का पूर्वांचल कहा गया जो वनों से आच्छादित आदिवासी बहुल विकास से दूर पिछड़ा क्षेत्र था। प्रदेश में औद्योगीकरण का जन्म द्वितीय योजना काल से प्रारंभ हुआ था इस योजनाकाल में दुर्ग जिले में लौह भण्डार की अधिकता के कारण भिलाई स्पात संयंत्र की स्थापना हुई जो वर्तमान में देश का महत्वपूर्ण स्पात संयंत्र है। द्वितीय योजना काल में ही रायपुर में औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण हुआ। द्वितीय योजना में आधारभूत ढांचे के विकास को विशेष महत्व दिया गया जिससे देश में भारी उद्योगों की स्थापना प्रारंभ हो सकी साथ ही ग्रामीण उद्योगों की ओर भी ध्यान दिया गया इसके लिए खादी ग्रामोद्योग संस्थान की स्थापना 1960-61 में की गई जो लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास में योगदान दे सके रायपुर में भी इसी नियोजन काल में खादी ग्रामोद्योग संस्थान की शाखा की स्थापना की गयी जिसके माध्यम से प्रदेश में लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास के लिए योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। तृतीय नियोजन काल में 1965 में जामुल सीमेण्ट संयंत्र की स्थापना दुर्ग में किया गया तथा प्रदेश में औद्योगीकरण की गति बढ़ाने के लिए म.प्र. सरकार ने चार औद्योगिक केन्द्र विकास निगम स्थापित किये थे रायपुर इनमें से एक था। वर्ष 1967-69 योजनाकाश काल था इस अवधि में रेल्वे बैगन वर्कशाप की स्थापना रायपुर में 1967-68 में हुई। 1965 में बिलासपुर में कोरबा के बाॅक्साइड भण्डारों के आधार पर बाल्को एल्युमिनियम संयंत्र की स्थापना किया गया जिसने 1972 में उत्पादन प्रारंभ किया। चैथी पंचवर्षीय योजना में प्रदेश के औद्योगिक विकास की तुलना में अंचल का औद्योगिक विकास पिछड़ा हुआ था इसी योजना काल में राजनांदगाँव के कपड़ा मिल का आधुनिकीकरण म.प्र. टेक्सटाइल्स कार्पोरेशन के द्वारा किया गया। पांचवी योजनाकाल में औद्योगिक विकास पर विशेष बल दिया गया। छत्तीसगढ़ में इस योजना का लक्ष्य क्षेत्र के औद्योगिक विकास दर में वृद्धि के साथ औद्योगिक उत्पादन तथा उत्पादन क्षमता में वृद्धि तथा उद्योगों की दृष्टि से औद्योगिक असमानता को कम कर रोजगार के नये मार्ग खोलना था। उक्त लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बीस सूत्रीय कार्यक्रम चलाए गये।
Cite this article:
राजेश अग्रवाल, आशीष दुबे. राज्य निर्माण के पश्चात् छत्तीसगढ़ राज्य की औद्योगिक नीति का अध्ययन. Research J. Humanities and Social Sciences. 3(3): July-September, 2012, 366-368.
Cite(Electronic):
राजेश अग्रवाल, आशीष दुबे. राज्य निर्माण के पश्चात् छत्तीसगढ़ राज्य की औद्योगिक नीति का अध्ययन. Research J. Humanities and Social Sciences. 3(3): July-September, 2012, 366-368. Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2012-3-3-12
संदर्भ ग्रंथ
1. छत्तीसगढ़ वृहद् संदर्भ - संजय त्रिपाठी एंव श्रीमति
2. चंदन त्रिपाठी
3. छत्तीसगढ़ ज्ञानकोष -हीरालाल शुक्ल
4. छत्तीसगढ़ की नैसर्गिक संपदा जल, जंगल, और जमीन -
5. जनसंपर्क संचालनालय, रायपुर
6. छत्तीसगढ़ का भूगोल - डाॅ. किरण गजपाल
7. छत्तीसगढ़ राज्य की औद्योगिक नीतियाँ (2001-2006) -
8. छत्तीसगढ़ सरकार