Author(s): Nister Kujur

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Address: Dr. Nister Kujur
Sr. Asstt. Professor, SoS in Sociology, Pt. Ravishankar Shukla University, Raipur (C.G)

Published In:   Volume - 4,      Issue - 1,     Year - 2013


ABSTRACT:
भारत विष्व का दूसरा सबसे बडा देश है जहां कुल जनसंख्या का 8.2 प्रतिशत आबादी जनजातियों का है तथा यह समूह 532 से भी अधिक उप-समूहों में विभक्त है। जनजातियों की यह समूह देश के दुर्गम पहाडी, पडारी भागों में निवास करती रही है । इन जनजातीय लोगों का जीवन स्वतंत्रता के पूर्व अत्यन्त ही दयनीय अवस्था में आजीविका करती थी जिसके फलस्वरूप ही इस समूह को शोधकत्र्ताओ द्वारा किसी ने खानाबदोष झूड, वनवासी, पिछडी जाति, वन्य जाति एवं गिरीजन इत्यादि कई नामों से पुकारा गया है, इसका कारण इनका निम्न सामाजिक-आथर््िाक स्थिति ही था।


Cite this article:
Nister Kujur. जनजाति विकास में पंचवर्शीय योजनाओं की भूमिका (जषपुर जिला के ग्राम सकरडेगा के उराव जनजाति के विषेश संदर्भ मे). Research J. Humanities and Social Sciences. 4(1): January-March, 2013, 76-81.

Cite(Electronic):
Nister Kujur. जनजाति विकास में पंचवर्शीय योजनाओं की भूमिका (जषपुर जिला के ग्राम सकरडेगा के उराव जनजाति के विषेश संदर्भ मे). Research J. Humanities and Social Sciences. 4(1): January-March, 2013, 76-81.   Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2013-4-1-14


REFERENCE:-
1.    मेनन, पी.एस.के.,जनजातीय विकास: नीतियां, योजनाएं और कार्यक्रम, योजना, अंक-3,वर्ष-44,जून 2000, पृ.39.
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7        Kurukh, Tribalzone.net.

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RNI: Not Available                     
DOI: 10.5958/2321-5828 


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