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डिगेश्वर नाथ खुटे
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डिगेश्वर नाथ खुटे
सहायक प्राध्यापक, इतिहास अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़)
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 4,
Issue - 1,
Year - 2013
ABSTRACT:
विधाता के सृष्टि जगत के विभिन्न जीव जगत में सर्वोत्तम कृति के रूप में मानव जगत है। इस सर्वोत्तम सृष्टि कृति के दो अभूतपूर्व जीव नारी और पुरूष है। ईश्वर ने पुरूष को पौरूष से और नारी को विश्व के चिर स्थायित्व, शास्वत मंगलकारी व स्त्रियोचित मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण सौंदर्य युक्त आकर्षक व्यक्तित्व के रूप में निर्मित किया। विश्व के समग्र नारी समूह मूलतः कोमल, सहनशीलता, वाल्सल्य, स्नेह, ममतामयी व त्याग की प्रतिमूर्ति होने के साथ-साथ कार्यकुशल व्यवहार कुशल व्यक्तित्व का स्वामिनी है। ’’ईश्वर के बाद हम सबसे अधिक ऋणी नारी के है। पहले तो स्वयं इस जीवन के लिये और फिर इस जीवन को योग्य बनाने के लिये।’’ भारत में प्राचीन वैदिक काल में नारी को शक्ति, ज्ञान और संपत्ति का प्रतीक मानकर दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी के रूप में पूजा की जाती थी। नारी को पुरूषों के बराबर पूर्ण अधिकार प्राप्त था। ऋग्वेद के अनुसार - ’’जिस घर में स्त्रियों की पूजा होती है, वहाँ देवताओं का निवास होता है।’’ पत्नी के रूप में नारी की स्थिति बहुत ऊँची थी। इस युग में महिलाओं की गतिशीलता पर कोई रोक नहीं थी, पुत्री को पिता की संपत्ति में उत्तराधिकार प्राप्त था। नारी की दयनीय स्थिति कालांतर में पैदा हुई। अथर्ववेद में पुत्री को दुःख देने वाली माना गया। मनु स्मृति में महिला के अधिकारों पर अनेक तरह के प्रतिबंध दृष्टिगोचर होते हैं। मनु ने पुत्री की अपेक्षा पुत्र को अधिक महत्व दिया, कन्या को उन्होंने दया का पात्र माना। सूत्रकाल में कन्या को वेद अध्ययन और उपनयन संस्कार से वंचित किया गया। मनु ने स्पष्ट किया कि नारी अपने जीवन के किसी भी काल में वास्तविक स्वतंत्रता को उपयोग नहीं कर सकती। ’’बचपन में पिता, युवावस्था में पति और वृद्धावस्था में पुत्र पर आश्रित होना स्त्रियों के लिये स्वाभाविक है।’’
Cite this article:
डिगेश्वर नाथ खुटे. भारतीय महिलाएँ-अधिकार और कर्तव्य-कल आज और कल. Research J. Humanities and Social Sciences. 4(1): January-March, 2013, 92-93.
Cite(Electronic):
डिगेश्वर नाथ खुटे. भारतीय महिलाएँ-अधिकार और कर्तव्य-कल आज और कल. Research J. Humanities and Social Sciences. 4(1): January-March, 2013, 92-93. Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2013-4-1-18
संदर्भ सूची:
1. योजना सूचना एवं प्रकाशन विभाग, सूचना भवन, नई दिल्ली, जनू 2012।
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