Author(s): जितेन्द्र कुमार प्रेमी, महेन्द्र कुमार प्रेमी

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Address: जितेन्द्र कुमार प्रेमी1 एवं महेन्द्र कुमार प्रेमी2 1असिस्टेंट प्रोफेसर, मानवविज्ञान अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर छत्तीसगढ़ 492010.
2शोध-छात्र (पीएच. डी.), दर्शनशास्त्र अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर छत्तीसगढ़ 492010.
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 4,      Issue - 3,     Year - 2013


ABSTRACT:
भारत में धार्मिक मान्यताओं के आधार पर लोगों को बाॅटकर उन पर शासन करने की नीति कोई नई नहीं है। अंग्रेजों ने तो इस नीति के बल पर कोई 200 वर्षो तक भारत पर राज किया किन्तु जिन्होने इस विष वृक्ष को रोपा था वे भारत पर लगभग 2000 वर्षांें तक अपना प्रभुत्व जमाये रहे। अब जब संविधान के द्वारा उक्त पाखंडतावाद को नकार दिया गया है, ऐसी स्थिति में इन ताकतों ने भारत के धार्मिक सौहार्द पर हमला बोलते हएु ; लोगों मे धार्मिक उन्माद पैदा कर, मासूम लोगों की चिता की आग से अपनी राजनीतिक रोटियाॅ सेेंककर ; सत्ता की मलाई खा रहे हंै। परिणामतः भारत की आंतरिक शांति छिन्न-भिन्न होती जा रही है। इसकी बानगी इस बात से जाहिर होती है कि बाबरी विध्वंस के बाद से लेकर अब तक लगभग 100 आतंकी हमले भारत में हो चुके हंै।


Cite this article:
जितेन्द्र कुमार प्रेमी, महेन्द्र कुमार प्रेमी. भारत में आंतरिक हिंसा के सामाजिक-राजनैतिक कारणः एक मानवशास्त्रीय विमर्श. Research J. Humanities and Social Sciences. 4(3): July-September, 2013, 293-308.

Cite(Electronic):
जितेन्द्र कुमार प्रेमी, महेन्द्र कुमार प्रेमी. भारत में आंतरिक हिंसा के सामाजिक-राजनैतिक कारणः एक मानवशास्त्रीय विमर्श. Research J. Humanities and Social Sciences. 4(3): July-September, 2013, 293-308.   Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2013-4-3-2


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