ABSTRACT:
भारतीय स्वतंत्राता संग्राम लंबी अवधि तक चलने वाली प्रक्रिया रही है, कंपनी शासन की स्थापना के काल से ही इसके विरूद्ध छिट-पुट प्रतिक्रियाएँ व्यक्त की जाने लगी थी । 1857 में प्रथम बार इस प्रतिक्रिया का स्वरूप संगठित व सामूहिक हो पाया । 1857 ई0 के आंदोलन के पश्चात् स्थानीय व राष्ट्रीय स्तर पर विभिन मुद्दो को लेकर विभिन्न वैचारिक ध्रातलो पर अनेक आंदोलनों का सूत्रापात हुआ । भारत में देशी रियासतों की प्रजा द्वारा चलाया गया आंदोलन इसी श्रृंखला की एक कड़ी थी ।
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अरूण कुमार निराला. राष्ट्रीय आंदोलन एवं प्रजामंडल आंदोलन का अन्तर्सम्बन्ध: प्रगति, प्रभाव व सीमाएँ।. Research J. Humanities and Social
Sciences. 5(2): April-June, 2014, 233-238
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अरूण कुमार निराला. राष्ट्रीय आंदोलन एवं प्रजामंडल आंदोलन का अन्तर्सम्बन्ध: प्रगति, प्रभाव व सीमाएँ।. Research J. Humanities and Social
Sciences. 5(2): April-June, 2014, 233-238 Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2014-5-2-16
संदर्भ
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