ABSTRACT:
‘‘हिन्दी साहित्य में उपन्यास लेखन का श्रीगणेश भारतेन्दु युग से होता है। किन्तु हिन्दी उपन्यास को नवजीवन देने वाले शख्स कोई है तो वह हैं कलम के सिपाही। इस सिपाही ने उपन्यास के माध्यम से समाज के कोने-कोने पर नजर दौड़ायी चाहे वह निम्नवर्ग हो या निम्न मध्यमवर्ग या फिर मध्यम वर्ग या उच्च वर्ग। सामाजिक वर्ण व्यवस्था ब्राम्हण, क्षत्रीय, वैश्य, शूद्र की स्थितियों को भी बड़े ही गांभीर्य तौर पर समाज के समक्ष रखा। सेवा संदन से लेकर गोदान तक का सफर सामाजिक यथार्थता का ज्वलंत उदाहरण है।’’
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प्रो. डी.पी. चन्द्रवंशी. हिन्दी उपन्यास के क्षेत्र में प्रेमचन्द्र का योगदान. Research J. Humanities and Social Sciences. 6(2): April-June, 2015, 106-110
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प्रो. डी.पी. चन्द्रवंशी. हिन्दी उपन्यास के क्षेत्र में प्रेमचन्द्र का योगदान. Research J. Humanities and Social Sciences. 6(2): April-June, 2015, 106-110 Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2015-6-2-7
संदर्भ ग्रंथ सूची
1. डाॅ. आर. एन. गौड़, राजहंस प्रकाशन मन्दिर, मेरठ।
2. शान्ति स्वरूप गुप्ता रीडर, हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली।
3. डा. महाराजसिंह परिहार, अभय प्रकाशन मन्दिर, 15/256 चारसू दरवाजा, आगरा -3
4. हिन्दी उपन्यास एक नयी दृष्टि, इन्द्रनाथ मदान।
5. गोदान, बारहवाॅ संस्करण पृष्ठ 364।