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अर्चना सेठी
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अर्चना सेठी
संविदा व्याख्याता (अर्थषास्त्र), पं. रविषंकर षुक्ल विष्वविद्यालय, रायपुर
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Published In:
Volume - 3,
Issue - 1,
Year - 2012
ABSTRACT:
कृशि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। पिछले दो दषकों से अधिक अवधि में औद्योगीकरणमें संगठित प्रयास के बावजूद कृशि का गौरवपूर्ण स्थान बना हुआ है। कृशि देष की 65ः जनता की जीविका का स्रोत है। ग्यारहवीं योजना के दिषा निर्देष पत्र में सर्व समावेषी विकास के प्रोन्नत करने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को पूरा करना है, तो दूसरी हरीत क्रांति लानी होगी जिसमें छोटे तथा सीमोंत किसानी की समस्याओं की ओर विषेश ध्यान देना होगा ताकि उन्हें आप सुरक्षा उपलब्ध करायी जा सके यह तभी संभव जब हम छोटे और सीमांत किसानों को कुछ सरकारी योजनाओं केे लाभ प्राप्तकर्ता न मानकर उन्हें विकास में साझीदार समझें। इसके लिए किसानों पर राश्ट्रीय आयोग द्वारा सुझायी गयी नीतियों पर विषेश बल देना होगा हानि छोटे और सीमांत किसानों की दषा उन्नत हो सके यह आयोग तकनीकी तथा सिंचाई व्यवस्था को सुधारने पर विषेश विषेश बल दिया गया है। इसके अतिरिक्त सहकारी संयुक्त खेती किसानों की आर्थिक दषा-सुधारने में रामबाण सिद्ध होगी। इसमें सदस्य अपनी भूमियों को एक संग्रह में डालते है ताकि उन्नत खेती हो सके। फसल के विक्रय के पष्चात प्रत्येक किसान को उसके भूमि के रूप में योगदान पर स्वामित्व लाभांष प्राप्त होता है। केरल में यह कृशि बहुत सफल रही है।
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अर्चना सेठी. भारतीय कृशि पर जनसंख्या का बढ़ता दबाव. Research J. Humanities and Social Sciences. 3(1): Jan- March, 2012, 62-64.
Cite(Electronic):
अर्चना सेठी. भारतीय कृशि पर जनसंख्या का बढ़ता दबाव. Research J. Humanities and Social Sciences. 3(1): Jan- March, 2012, 62-64. Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2012-3-1-13
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