Author(s): Vrinda Sengupta, Ambika Prasad Verma

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DOI: Not Available

Address: Dr. (Smt.) Vrinda Sengupta1, Dr. Ambika Prasad Verma2
1Asstt. Professor (Sociology), Govt T.C.L.P.G. College, Janjgir.
2Asstt. Professor (Political Science), Govt T.C.L.P.G. College, Janjgir.
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 6,      Issue - 2,     Year - 2015


ABSTRACT:
धरती और किसान का अटूट रिश्ता है, वह अपनी जमीन से सर्वाधिक लगाव रखता। वही उसका सब कुछ है। दरअसल कृषक समाजों के लिए कृषि कोई धंधा नहीं बल्कि उनकी जीवन शैली है। किसान के लिए खेती कोई व्यापार-व्यवसाय भी नहीं है, बल्कि यह तो उसकी रोजमर्रा की जिन्दगी का एक बड़ा हिस्सा है,ै किसान अपने खेतों से सर्वाधिक लगाव रखता है और वह किसी भी कीमत पर अपने खेत छोड़ने को तैयार नहीं होता। लाख प्रलोभन भी उसे नहीं डिगा पाते, किसान के लिए उसका खेत ही सब कुछ होता है, सब कुछ खोकर भी वह ‘‘किसान’’ बना रहना चाहता है। वह दो बीघे की जायदाद का मालिक कहलाना ज्यादा पसंद करता है और जब-जब उसकी इस धरोहर को छीनने की कोशिश की गई है, तब-तब उसने उग्र रुप धारण किया है और आंदोलन के रास्ते पर उठ खड़ा हुआ है। प्रमाण स्वरुप अंगे्रजों के विरुद्ध हुए किसानों के आंदोलन देखे जा सकते है।


Cite this article:
Vrinda Sengupta, Ambika Prasad Verma. हिन्दी साहित्य में किसानः सपने, संघर्ष, चुनौतियाँ और 21 वीं सदी, मीडिया, बाजार, विज्ञापन और फिल्मी दुनिया समाचार के आइने में युवा भारतीय किसान. Research J. Humanities and Social Sciences. 6(2): April-June, 2015, 162-165

Cite(Electronic):
Vrinda Sengupta, Ambika Prasad Verma. हिन्दी साहित्य में किसानः सपने, संघर्ष, चुनौतियाँ और 21 वीं सदी, मीडिया, बाजार, विज्ञापन और फिल्मी दुनिया समाचार के आइने में युवा भारतीय किसान. Research J. Humanities and Social Sciences. 6(2): April-June, 2015, 162-165   Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2015-6-2-16


संदर्भ
1        गोयल, डाॅ. कंचन, मीडिया और अनुवाद, अनंग प्रकाशन, दिल्ली, पृ. न. 10 से 11-12  ।
2        एम. ई. विश्वनाथ अय्यर, अनुवाद कला पृ. 26 ।
3        मौलिक विचार।
4        इंटरनेट संचार माध्यम।

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DOI: 10.5958/2321-5828 


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