Author(s):
                        जितेन्द्र कुमार प्रेमी
                    
                    
                        Email(s):
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                        DOI:
                        Not Available
                    
  
                    
                        Address:
                        जितेन्द्र कुमार प्रेमी
वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक, मानवविज्ञान अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय,रायपुर (छ.ग) -492010.
*Corresponding Author
                    
                    
                        Published In:
                         
                        Volume - 6,     
                                Issue - 2,    
                                Year - 2015
                        
                    
					
					 
						
					
					
				
                 
				
                					
                    
                    
                        ABSTRACT: 
                        जंगलो की असमानता और जंगलों में अतिक्रमण और विकासात्मक गतिविधिया उद्योग उत्धनन,क्षेत्र, बांध इत्यादि के कारण हाथीयों के प्राकृतिक आवास का क्षरण एवं संकुचन होते जा रहा है ये सारी गतिविधिया हाथीयों के लम्बी क्षेत्र तक के आवाजाहि को निषेधित कर रहा है। पड़ोसि राज्यों के जंगलो में गंभीर क्षति होने के फलस्वरूप हार्थी अपना मौलिक रास्ता से भटकर छ.ग. की उन्मुक्त हो गये वर्तमान में पाॅच वन मंडल कोरबा, राजगढ़, धरमजयगढ़, जसपुर, सरगुजा जैसे पाॅच वन मंडल मानव और हाथीयों के बीच संघर्षो का सामना कर रहे है(सिंग 2002)। अध्ययन का उद्देश्य धरमजयगढ. क्षे़त्र के गा्रमों में हाथियों के आक्रमण से प्रभावित लोगो के धार्मीक विश्वासो एवं क्रियाओं पर हुए प्रभावो का आकलन करना। उददेश्यों की पूर्ति के लिए आॅंकडों के प्राप्ति हेतु संरचित साक्षात्कार अनुसूची का निर्माण किया जिसमें कुल 135 प्रश्न थे गहन साक्षात्कार संरचित अनुसूची के द्वारा तैयार किये गये संरचित अनुसूची के द्वारा चयनित परिवारों के मुखियों को पहली प्राथमिकता देते हुए उनसे साक्षात्कार के द्वारा उनसे आॅंकडे़ संग्रहित किए गए। हाथियों के आक्रमण से पूर्व तथा हाथियों के आक्रमण पश्चात टोटम चिन्ह में कोई परिर्वन नही हुआ है। आपदा के पश्चात उनकी देवी-देवता में कोई परिवर्तन नही हुआ है, इनके वर्तमान के देवी-देवता डिहारिन, गौरारानी, बेनियारानी, देवगुड़ी, आमली टिकली , कानेशबरिन, आदि है । परन्तु धार्मिक स्वच्छंदता में प्रभाव देखा गया है जिसके कारण पहले की आपेक्षा वर्तमान में कोई भी व्यक्ति अकेले पूजा पाठ करने के लिए ग्राम के बाहर स्थिति देवी देवता की पूजा पाठ करने अकेले नही जा सकता बल्कि वे समूह में जाते है।
                    
                    
                    
                 
				
				
                     
                    
                        Cite this article:
                        
                        जितेन्द्र कुमार प्रेमी. छत्तीसगढ. के रायगढ़ जिले क¢ धरमजयगढ. क्षे़त्र के गा्रमों में हाथियों के आक्रमण का धार्मिक विश्वास एवं क्रियाओं का प्रभाव. Research J. Humanities and Social Sciences. 6(2): April-June, 2015, 101-105
						
						 Cite(Electronic):
						 
						 जितेन्द्र कुमार प्रेमी. छत्तीसगढ. के रायगढ़ जिले क¢ धरमजयगढ. क्षे़त्र के गा्रमों में हाथियों के आक्रमण का धार्मिक विश्वास एवं क्रियाओं का प्रभाव. Research J. Humanities and Social Sciences. 6(2): April-June, 2015, 101-105   Available on: https://www.rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2015-6-2-6
                    
					
				 				
					
				         
				
                
                संदर्भ-गं्रथ सूची
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Singh, R.K. (2000). Effect of iron ore mining on the elephant habitat of Singhbum Forest, Bihar. A Ph.D. thesis submitted to Saurashtra University. Wildlife Institute of India, Dehradun.
Singh, R.K. and Chowdhury, S. (1999). Effect of mine discharge on the pattern Of riverine habitat use of elephants Elephusmaximus and other mammals in Singhbum forests, Bihar, India. J. Env. Mgt., 57, 177-192.